राजस्थान का नामकरण (Rajasthan ka Namkaran)
राजस्थान का भूगोल PDF | राजस्थान का भूगोल एक परिचय | राजस्थान शब्द का पहली बार प्रयोग | राजस्थान शब्द किसने दिया
राजस्थान का नामकरण:-
राजस्थान का शाब्दिक अर्थ– “राजा का स्थान”
वर्तमान राजस्थान का प्राचीन काल में किसी एक नाम से न जानकर इसके अलग – अलग क्षेत्रों को अलग – अलग नामों से जाना जाता था
इसके अलग अलग भागों को निम्न नामों से जाना जाता था
- जैसलमेर का क्षेत्र – माड
- जोधपुर का क्षेत्र – मरु / मारवाड़
- जोधपुर का दक्षिणी भाग – गुर्जरत्रा
- झालावाड का दक्षिणी भाग – मालव प्रदेश
- डूंगरपुर व बांसवाडा का क्षेत्र – वागड़
- सिरोही का क्षेत्र – आबू (अर्बुद) प्रदेश
- कोटा व बूंदी का क्षेत्र – हाडौती
- वर्तमान बीकानेर व जोधपुर का क्षेत्र महाभारत काल में “जांगल प्रदेश” के नाम से जाना जाता था इसीलिए बीकानेर के शासक स्वयं को “जांगलधर बादशाह” कहते थे
- जांगल प्रदेश का समीपवर्ती भाग जो वर्तमान में अजमेर और नागौर का मध्य भाग है, “सपादलक्ष” के नाम से जाना जाता था, यहाँ चौहानों का शासन था
- भरतपुर व धौलपुर राज्य और करौली का अधिकांश भाग शूरसेन देश के अंतर्गत आते थे
- शूरसेन राज्य की राजधानी मथुरा, कुरु राज्य की राजधानी – इन्द्रप्रस्थ तथा मत्स्य राज्य की राजधानी – विराटनगर थी
- शिवी राज्य ( वर्तमान उदयपुर) की राजधानी मध्यमिका थी, मेवों द्वारा शासित होने के कारण मेदपाठ या प्राग्वाट के नाम से भी जाना जाता था
वर्तमान राजस्थान के इस भूभाग के लिए प्रयुक्त नाम :-
1. ब्रह्मव्रत– वैदिक साहित्य में इस भूभाग को ब्रह्मव्रत कहा गया है
2. मरुकांतर– वाल्मीकि ने अपनी पुस्तक रामायण में इस भूभाग के लिए मरुकांतर शब्द का प्रयोग किया गया है
3. राजपुताना– राजपूतों द्वारा शासित होने के कारण
राजपुताना शब्द का सर्वप्रथम मौखिक प्रयोगकर्ता – जॉर्जथॉमस (1800 ई. )
–“द मिलिट्री मेमोयर्स ऑफ़ जॉर्ज थॉमस” पुस्तक के लेखक – विलियम फ्रेंकलिन
–यह पुस्तक जॉर्ज थॉमस की जीवनी है
–इस पुस्तक में लिखा गया है की राजपुताना शब्द का सर्वप्रथम मौखिक प्रयोग जॉर्ज थॉमस ने किया
जॉर्ज थॉमस–
- ये आयरलैंड के निवासी थे–
- तथा ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में अंग्रेज सैन्य कमाण्डर थे
राजस्थान – बसंतगढ़ शिलालेख (सिरोही)
- –विक्रमसंवत– 682
- –इस शिलालेख में “राजस्थानादित्या” शब्द का उल्लेख मिलता है
- –राजस्थानादित्या शब्द का शाब्दिक अर्थ है– राजा का निवास स्थान
- चावड़ावंश – शासक– वर्मलोत, भीनमाल (जालौर )
राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोगकर्ता– कर्नल जेम्स टॉड
कर्नल जेम्स टॉड –
- इंग्लैंड के निवसी
- राजपूताना सर्वप्रथम आगमन –दक्षिणी– पश्चिमी राजपूताने के पोलिटिकल एजेंट के रूप में हुआ
- सर्वप्रथम राजपूताना – मांडलगढ़, भीलवाड़ा आए
- गुरु – ज्ञानचंद्र
–प्रसिद्ध पुस्तक–
- “एनाल्स एंड एक्टिविटीज ऑफ राजस्थान”
- अन्य नाम – द सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया
- पुस्तक के संपादक– विलियम क्रुक
- सर्वप्रथम हिंदी अनुवाद– गौरीशंकर हीराचंद ओझा
- समर्पित– गुरुज्ञानचंद्र
- इस पुस्तक में वर्तमान राजस्थान के लिए तीन शब्द काम में लिए
i.राजस्थान
ii.रजवाड़ा
iii.रायथान
- यह पुस्तक तीन खंडों में प्रकाशित हुई
i.1829
ii.1832
iii.1839
- राजस्थान के इतिहास के पिता
- घोड़े वाले बाबा
- राजस्थान शब्द के प्रथम प्रयोगकर्ता
मुख्य बिंदु :-
- एकीकरण के दूसरे चरण में सर्वप्रथम राजस्थान शब्द का प्रयोग किया गया
- 26 जनवरी 1950 को राजस्थान नाम से को संवैधानिक मान्यता मिली
- राजस्थान का वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया
- राज्यपाल पद की शुरुआत भी 1 नवंबर 1956 को हुई थी
- राजस्थान दिवस – 30 मार्च
- राजस्थान स्थापना दिवस – 1 नवंबर
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