पत्नी:-
भाग- 1 – बेटी,माँ,बहन के बाद एक रूप धरती है नारी….
शीर्षक-पत्नी
विधा-कविता
बेटी,माँ,बहन के बाद एक रूप धरती है नारी
जो पति की आधे अंग की अर्धांगिनी होती हैं
रहती हर पल चिंता में शिकायतों के अम्बार लगाती
होती छोटी नोक-झोक पति से रूठ जाती हैं
धरती में स्वर्ग बनाए नारी का वो रूप होती हैं
माँ के बाद पुरूष को पाठ पढ़ाए वो गुरू होती हैं
यमराज से प्राण उबारे पत्नी में वो शक्ति होती हैं
सती बनकर प्राण न्यौछावर करें
वो भक्ति होती हैं
घर की बाग-डोर संभाले घर की सेठानी होती हैं
पति से पत्नी की कहानी मिलकर पूर्ण होती हैं
प्रेम का रिश्ता जिसमें एक प्रेमिका पत्नी होती हैं
होकर परिपूर्ण प्रेम मे बंधकर सारे रिश्ता बनाती हैं
अपने कोक से जन्म पत्नी पति का कुल चलाती हैं
रहकर विषम परिस्थिति हर वक्त साथ निभाती हैं
बनकर किसी की पत्नी गौरव से परिपूर्ण होती हैं
वेश्यावृत्ति से दूर इस में उसकी लाज होती हैं
✍️रिसिका इशिता 【💕दिल की बात】
भाग – 2 – एक कन्या जब विवाह कर ससुराल में आती है
शीर्षक-पत्नी
विधा-कविता
एक कन्या जब विवाह कर ससुराल में आती है,
अब बहन,बेटी से पहले पत्नी का फ़र्ज निभाती है।
अर्धांगिनी बनकर वो पति के आधे कष्ट बाँटती है।
स्वयं तकलीफ में होकर भी पति को धीरज देती है।
स्वयं झुककर भी वो पति को ऊँचा उठाती है,
पति के सम्मान के लिए अपनों से भी लड़ जाती है।
सावित्री की भाँति यमराज से भी टकराती है,
पति के प्राणों के लिए यमराज से भी नहीं घबराती है।
एक माता समान पति की देखभाल करती है,
पत्नी बन वो पति से स्नेह भाव भी जताती है।
पति-पत्नी के स्नेह बंधन से घर बन जाता है स्वर्ग,
पति भी समझे पत्नी के कष्टों को यही है उसका फ़र्ज।
Writer Neha Pandey
पत्नी ❤️✍️
भाग – 3 – पत्नी से व्यवहार हमेशा बनाए रखिए….
विधा :- कविता
विषय :- पत्नी
पत्नी से व्यवहार हमेशा बनाए रखिए !
जीवन के अंतिम समय यही काम आयेगी
औलाद जब तक हैं छोटी,
तुम्हारी हैं वो
जिस दिन बड़ी होगी,
चिड़िया बन उड जाएगी !!!
बेटी तो पराया धन हैं,
दामाद विदा कर ले जायेगे
बेटे तो तुम्हारे अपने हैं,
पर उन्हें भी बहु ले जाएगी !!!
तुम्हारी पत्नी,
तुम्हारी अद्धागिनी हैं,
जीवन के कठिन समय में,
वहीं तुम्हारा साथ निभायेगी !!!
तुम उसको अगर कहो कि,
आराम भी करलो थोड़ा
ऐसे सिरहाने बैठे-बैठे कब तक साथ निभाओगी ?
उस वक्त हल्की-सी मुस्कान लेकर,
जीवन का सत्य बतायेगी !!!!
बैठकर तुम्हें वो सात फेरों,
के सातों वचन याद दिलायेगी
ये मेरा “पत्नी” धर्म हैं,
कहकर हमेशा साथ निभायेगी !!!!
तब तुम आँखों में आँसू ले उससे पूछोगे कि “””!!!!!
कुछ धर्म उनके भी थे,
जो उड गए पंछी,
बन हमारे आँगन से !!
उनके भी कुछ धर्म हैं,
परिवार में अपने,
वो ये बात तुम्हें समझायेगी !!
याद अपने बच्चों की
आती तो उसको भी होगी
पर साथ लिए
अपने ममता के मोह को
वो पत्नी धर्म भी निभायेगी !!!!
बेटी हमारी आँखों प्यारी,
दो कुल की रीत निभायेगी
हमारा बेटा, हमारा आदर्श,
” पति” धर्म तो निभायेगा !!!!
जीवन के मुश्किल समय,
पत्नी ही साथ निभायेगी
औलाद तो एक दिन,
बन चिड़िया हमारे आँगन से उड जाएगी !!!
लेखिका :- पूजा वर्मा ✍🏻
*****************
भाग – 4 – सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ....
विधा :- कविता
विषय :- पत्नी
सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ,
ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ,
सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी -अर्धांगिनी- परिणीता मैं पत्नी हूँ,
मैं सभी की सुविधा,मैं वर्तमान की सुपर तकनीकी की मशीन हूँ,
सभी रिश्तों का आधार मैं घर का सार संक्षिप्त मैं रश्मिरथी हूँ,
भूल अपने हक को सबके लिए वह त्याज्या साधक तपस्वी हूँ,
समाज के बन्धनों से बंधी व जकड़ी मैं मानवी मनस्वी सी हूँ,
प्राचीन व आधुनिक सभी के समाज की मैं अब विवाहिता हूँ,
रसोईघर की रसोइया मैं सभी तत्काल सुविधाओं की पूर्णता हूँ,
मैं धोबिन, मैं मालिन, मैं परिचायिका मैं गृह प्रबन्धकर्ता हूँ,
मैं दफ्तर की कार्यकर्ता ,मैं ही निजहित को त्याग बचतकर्ता हूँ,
हर रिश्ते को बख़ूबी निभाया, जो चाहा वो दिया,
कर उपेक्षा मुझ पर प्रश्न चिन्ह आज तक लगाया,
मैं घर की शान हूँ,पर मेरा कहिं न मूल्य बताया,
मैं कौन हूं??यह प्रश्न बारम्बार मेरे मन मे आया,
मैं बेटी,नारी,अबला,बहु, तो किसी ने पत्नी बताया,
मेरे त्याग की कद्र नही हर बार मेरा मान है गिराया,
सच मायने में पत्नी का अर्थ सहधर्मिणी, अर्धांगिनी,
यह पति का साया बिन इसके जगत अधूरा ही पाया।
✍️निशा कमवाल