राजस्थान का एकीकरण
एकीकरण का सर्वप्रथम प्रयास 1939 में तत्कालीन वायसराय लार्ड लिनलिथगो ने किया था लेकिन अधिकांश राजपूत राजा इसके लिए तैयार नही हुए
भारत की स्वतंत्रता के दौरान ब्रिटेन में मजदूर दल(लेबरपार्टी) के प्रधानमंत्री क्लिमेंन एटली थे, तथा भारत के गवर्नर जनरल वायसराय लॉर्ड माऊण्ट बैटन थे। हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउण्टबेटेन की रिपोर्ट के आधार पर आजाद हुआ था। यह रिपोर्ट 3 जून 1947 को ब्रिटेन की संसद में रखी गई थी। 18 जुलाई 1947 भारत स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ, जिसके आधार पर 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ।
माउण्टबेटेन रिपोर्ट में यहाँ की रियासतों के सामने तीन विकल्प रखे गये-
- भारत में शामिल हो सकती हैं।
- पाकिस्तान में शामिल हो सकती है।
- आजाद रह सकती हैं।
भारत के अनेक टुकड़े होने से बचाने के लिए भारत एकीकरण के लिए 5 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल अध्यक्षता में रियासत अयोग का गठन किया था,सरदार वल्लभभाई पटेल को लौहपुरूष व भारत का बिस्मार्क कहा जाता हैं। रियासत आयोग का सचिव उस समय माउंटबेटेन के संवैधानिक सलाहकार वी.पी.मेनन को बनाया गया
भारत में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का अध्यक्ष पण्डित जवाहर लाल नेहरू का बनाया गया।
भारत सरकार के रियासती विभाग ने 6-8 अगस्त, 1945 ई. मे श्रीनगर में हुई बैठक में यह घोषणा कर दी थी कि वह रियासत ही अपना पृथक अस्तित्व रख सकती है जिसकी आबादी 10 लाख या उससे अधिक हो तथा उसकी वार्षिक आय एक करोड़ या उससे अधिक हो ।
- उपर्युक्त शर्त को पूरा करने वाली राजस्थान में चार रियासतें जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर थीं
- 15 अगस्त 1947 तक भारत में तीन रियासतों को छोड़कर 562 रियासतों का विलय हो चूका था। जम्मू & कश्मीर, हैदराबाद तथा जूनागढ़ ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर नही किये
- क्षेत्रफल में सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद थी व सबसे छोटी रियासत बिलवारी(मध्यप्रदेश) थी।
राजस्थान के एकीकरण से पूर्व विभिन्न राजाओं द्वारा संघ बनाने के प्रयास
- मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने राजस्थान, गुजरात और मालवा के छोटे-बड़े राज्यों को मिलाकर एक बडी इकाई राजस्थान यूनियन बनाने के उद्देश्य से 25 – 26 जून, 1946 ई. को उदयपुर में राजाओं का सम्मेलन आयोजित किया ।
- कोटा महाराव भीमसिंह कोटा, बूंदी और झालावाड राज्यों को मिलाकर एक वृहत्तर कोटा राज्य के निर्माण में लग गया किन्तु पारस्परिक अविश्वास, ईर्ष्या एवं अपना पृथक अस्तित्व बनाये रखने की महत्वकांक्षा के कारण हाड़ौती संघ अस्तित्व में नहीं आ सका ।
- डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह वृहत्तर डूंगरपुर का निर्माण करना चाहता था उसने डूंगरपुर, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, लावा और प्रतापगढ के राज्यों को मिलाकर बागड़ संघ का निर्माण करने का प्रयास किया मगर महारावल लक्ष्मणसिंह को भी अपने प्रयासों मे सफलता नही मिली ।
- जयपुर के महाराजा द्वारा राजपूताना संघ बनाने का प्रयास किया गया ।
सितम्बर, 1946 ई. को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद ने भी यह कह दिया कि राजस्थान की कोई भी रियासत अपने आप में भारतीय संघ में शामिल होने योग्य नहीं है, अत: समस्त राजस्थान को एक ही इकाई के रूप में भारतीय संघ में सम्मिलित होना चाहिए ।
दिसम्बर, 1949 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने घोषणा की कि छोटी छोटी रियासतों को मिलाकर एक संघ बनाया जायेगा ।
एकीकरण के समय राजस्थान में कुल 19 रियासतें 3 ठिकाने तथा 1 केन्द्रशासित प्रदेश था
एकीकरण के समय राजस्थान की 19 रियासतें, शासक तथा वंश
क्र. सं. | रियासत का नाम | शासक | वंश |
1. | जयपुर | सवाई जयसिंह द्वितीय | कच्छवाहा |
2. | जोधपुर | महाराजा हनुवंतसिंह | राठौड़ |
3. | बीकानेर | शार्दूलसिंह | राठौड़ |
4. | उदयपुर | महाराणा भूपालसिंह | सिसोदिया |
5. | भरतपुर | बृजेन्द्रसिंह | जाट |
6. | करौली | गणेशपाल देव | यदुवंशी |
7. | किशनगढ़ | सुमेरसिंह | राठौड़ |
8. | जैसलमेर | रघुनाथ सिंह बहादुर | भाटी |
9. | कोटा | भीमसिंह हाड़ा | चौहान |
10. | अलवर | तेजसिंह | कच्छवाहा |
11. | बाँसवाड़ा | चन्द्रवीरसिंह | सिसोदिया |
12. | टोंक | अजीजउद्दौला | पिण्डारी (मुसलमान) |
13. | धोलपुर | उदयभानसिंह | जाट |
14. | बूँदी | बहादुरसिंह हाड़ा | चौहान |
15. | डूंगरपुर | लक्ष्मणसिंह | सिसोदिया |
16. | प्रतापगढ़ | अम्बिका प्रतापसिंह | सिसोदिया |
17. | झालावाड़ | हरिशचन्द्र बहादुर | झाला |
18. | सिरोही | अभयसिंह देवड़ा | (चौहान |
19. | शाहपुरा | राजा सुदर्शन देव | सिसोदिया |
एकीकरण के समय राजस्थान के 3 ठिकाने, शासक तथा वंश
क्र. सं. | ठिकाना | शासक | वंश |
1. | नीमराना
|
राजा राजेन्द्रसिंह | कच्छवाहा |
2. | लावा
|
ठाकुर बंसप्रदीपसिंह | नरूका |
3. | कुशलगढ़
|
हरेन्द्र कुमार सिंह | राठौड़ |
एकीकरण के समय राजस्थान में केन्द्र शासित प्रदेश- अजमेर- मेरवाडा
महत्वपूर्ण तथ्य-
- एकीकरण से पुर्व राजस्थान में केन्द्र शासित प्रदेश- अजमेर- मेरवाडा रियासत
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत – उदयपुर/मेवाड़ रियासत । मेवाड़ रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल के द्वारा की गई।
- राजस्थान की सबसे नवीन रियासत – झालावाड़ रियासत । झालावाड़ को कोटा से अलग करके रियासत का दर्जा दिया गया । इसकी राजधानी पाटन थी । झालावाड़ अंग्रेजों के समय में स्थापित एकमात्र रियासत थी ।
- राजस्थान की क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत- जोधपुर(मारवाड) ( 16 हजार 71 वर्ग मील )
- राजस्थान की क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत- शाहपुरा रियासत(1450 वर्गमील)
- राजस्थान की जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत- जयपुर रियासत । 1941 ई. की जनगणना के समय जयपुर की कुल जनसंख्या 30 लाख थी
- राजस्थान की जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत- शाहपुरा रियासत । 1941 ई. की जनगणना के समय शाहपुरा की कुल जनसंख्या 16,000 थी
- राजस्थान की अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली प्रथम रियासत- करौली रियासत (15 नवंम्बर, 1817 )
- राजस्थान की अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली द्वितीय रियासत- कोटा रियासत (दिसम्बंर, 1817)
- राजस्थान की अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली अन्तिम रियासत- सिरोहीरियासत (सितंम्बर, 1823 )
- राजस्थान में शिकार एक्ट घोषित करने वाली प्रथम रियासत-टोंक रियासत (1901 में)
- राजस्थान में डाक टिकट व पोस्टकार्ड जारी करने वाली प्रथम रियासत- जयपुररियासत (1904 में)
- राजस्थान में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कानुन बनाने वाली प्रथम रियासत-जोधपुर(1910 में)
- राजस्थान में वन्य अधिनियम पारित करने वाली प्रथम रियासत- अलवर 1935 में
- राजस्थान में शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने वाली प्रथम रियासत- डुंगरपुर रियासत
- राजस्थान में जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासक की स्थापना करने वाली प्रथम रियासत- शाहपुरा रियासत
- राजस्थान में जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासक की स्थापना न करने वाली रियासत-जैसलमेर रियासत
- राजस्थान में जैसलमेर रियासत को राजस्थान का अण्डमान कहा जाता है।यह सबसे पिछड़ी रियासत थी। इस रियासत ने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं लिया था।
- राजस्थान में एकीकरण के समय टोंक व जोधपुर रियासतें पाकिस्तान में मिलना चाहती थी।
- राजस्थान में एकीकरण के समय अलवर, भरतपुर व धौलपुर रियासतें भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश में मिलना चाहती थी।
माउंटबेटेन ने देशी राज्यों के सम्मलेन के लिये दो प्रकार के प्रपत्र तैयार करवाये।
- इन्स्टूमेण्ट ऑफ एक्सेशन –यह एक प्रकार का मिलाप पत्र था जिस पर हस्ताक्षर करके कोई भी शासक भारतीय संघ में शामिल हो सकता है।
- स्टैण्डस्टिल एग्रीमण्ट्र –यह यथा स्थिति के लिये सहमति पत्र था।
एकीकरण के चरण
– राजस्थान का एकीकरण कुल 7 चरणो मे पुरा हुआ जो 18 मार्च, 1948 से शुरू हुआ जो 1 नवम्बर 1956 को पूरा हुआ, जिसमें कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन का समय लगा।
राजस्थान एकीकरण के चरण –
- मत्स्य संघ (मत्स्य यूनियन)
- राजस्थान संघ / पूर्व राजस्थान (राजस्थान यूनियन )
- संयुक्त राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ राजस्थान)
- वृहत् राजस्थान (ग्रेटर राजस्थान)
- संयुक्त वृहत / वृहतर राजस्थान (यूनाइटेड स्टेट आँफ ग्रेटर राजस्थान)
- राजस्थान संघ (यूनाइटेड स्टेट)
- वर्तमान राजस्थान (रि-आर्गेनाइजेशन राजस्थान)
राजस्थान एकीकरण के सभी चरण निम्नलिखित है
1. पहला चरण-18 मार्च 1948
- नाम-मत्स्य संघ(K.M. मुंशी (कन्हैया लाल माणिक्य लाल मुंशी) ने दिया -इसका विरोध भरतपुर के राजकुमार मानसिंह देशराज ने किया था।
- क्षेत्रफल – 12000 वर्ग किमी
- जनसंख्या –38 लाख
- वार्षिक आय – 184 लाख
- शामिल रियासतें – अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली( 4+ 1 )
- ठिकाना-निमराणा (अलवर)
- राजधानी-अलवर
- उद्घाटन-भरतपुर के लौहागढ़ दुर्ग मे
- उद्घाटन कर्ता-V. गोडगिल (नरहरी विष्णु गोडगिल)(केन्द्रीय मंत्री) (यह प्रथम आंगल भारतीय था)
- राज प्रमुख-धौलपुर नरेश उदयभान सिंह
- उपराज प्रमुख-करौली के महारावल गणेशपाल
- प्रधानमंत्री-शोभाराम कुमावत (अलवर)
- उप प्रधानमंत्री-युगल किशोर चतुर्वेदी (राजस्थान का नेहरू)(भरतपुर)
2. दुसरा चरण-25 मार्च 1948
- नाम-पूर्व राजस्थान
- शामिल रियासतें-कोटा, झालावाड़, बूंदी, टोंक, किशनगढ़, शाहपुरा, बासवाड़ा, डूँगरपुर, प्रतापगढ़ (9+ 1 )
- क्षेत्रफल – 16807 वर्ग किमी
- जनसंख्या –05 लाख
- वार्षिक आय – 2 करोड़
- ठिकाना-लावा (जयपुर), कुशलगढ़
- राजधानी-कोटा
- उद्घाटन – कोटा दुर्ग में
- उद्घाटन कर्ता-V. गोडगिल
- राज प्रमुख-भीमसिंह (कोटा)
- उपराज प्रमुख-बूंदी नरेश बहादुर सिंह डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह(कनिष्ठ)
- प्रधानमंत्री-गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)
- इस चरण में बांसवाड़ा को शामिल करने के दौरान यहाँ के महारावल चन्द्रवीर ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा मैं अपनी मृत्यु दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहा हुँ।
3. तीसरा चरण-18 अप्रैल 1948
- नाम-संयुक्त राजस्थान
- शामिल रियासत-पूर्व राजस्थान + उदयपुर( 10+1 )
- क्षेत्रफल – 27,977 वर्ग किमी
- जनसंख्या – 42,60,918
- वार्षिक आय –16 करोड़
- राजधानी-उदयपुर (मेवाड़)
- उद्घाटन – कोटा दुर्ग में
- उद्घाटन कर्ता-पंडित जवाहर लाल नेहरू
- राज प्रमुख-महा. भूपाल सिंह(उदयपुर)
- उपराज प्रमुख-भीमसिंह (कोटा) ii. बूंदी नरेश बहादुर सिंह(वरिष्ठ) डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह(कनिष्ठ)
- प्रधानमंत्री-माणिक्य लाल वर्मा
- पंडित जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर माणिक्यलाल वर्मा को संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री बनाया गया ।
- उपप्रधानमंत्री – गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)
- भोपाल सिंह एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज व्यक्ति था
4. चौथा चरण-30 मार्च 1949
नाम- वृहद राजस्थान
शामिल रियासत- संयुक्त राजस्थान + जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर ( 14+2 )
राजधानी- जयपुर
उद्घाटन कर्ता- सरदार वल्लभ भाई पटेल
राज प्रमुख- सवाई मानसिंह II (जयपुर)
वरिष्ठ उपराजप्रमुख- हनुवंत सिंह (जोधपुर) ii. भीमसिंह (कोटा)
कनिष्ठ उपराजप्रमुख – i. बूंदी नरेश बहादुर सिंह ii. डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह
प्रधानमंत्री- हीरा लाल शास्त्री
– 30 मार्च को ही राजस्थान दिवस मनाया जाता है इसी चरण मे जीवन पर्यन्त महाराज प्रमुख भूपाल सिंह को बनाया गया व राजस्थान के प्रथम मनोनित मुख्यमंत्री हिरा लाल शास्त्री को बनाया गया।
– पी. सत्यनारायण राव समिति कि सिफारिश पर भोगोलिक एंव पेयजल कि दृष्टि से जयपुर को राजधानी बनाई गयी।
– सत्य नारायण समिति कि अन्य सिफारिश पर विभागों का बंटवारा –
1. उच्च न्यायालय (जोधपुर)
2. कृषि विभाग (भरतपुर)
3. खनिज विभाग (उदयपुर)
4. शिक्षा विभाग (बीकानेर)
5.वन विभाग (कोटा)
उद्घाटनकर्ता- सरदार वल्लभ भाई पटेल
5. पाँचवा चरण-15 मई 1949
- नाम-संयुक्त वृहद राजस्थान
- शामिल रियासत-वृहद राजस्थान व मत्स्य संघ ( 14+2 )
- राजधानी-जयपुर
- उद्घाटन कर्ता-सरदार पटेल
- राज प्रमुख-सवाई मानसिंह द्वितिय
- प्रधानमंत्री-हीरा लाल शास्त्री
- शंकर राय देव समिति कि सिफारिश पर वृहद राजस्थान का विलय किया गया।
6. छठा चरण-26 जनवरी 1950
- नाम-राजस्थान संघ
- शामिल रियासतें-संयुक्त वृहद राजस्थान + सिरोही (आबू तथा देलवाड़ा को छोड़कर) (19+3)
- महाराज प्रमुख – महाराणा भूपाल सिंह
- राजप्रमुख – सवाई मन सिंह II
- मुख्यमन्त्री – हीरालाल शास्त्री
- आबू व देलवाड़ा को गोकुल भाई भट्ट के प्रयासो से राजस्थान मे मिलाया गया।
- गोकुल भाई भट्ट को राजस्थान का गाँधी कहा जाता है।
- राजस्थान में इस समय राज्यपाल का पद सृजित नहीं होने के कारण यहाँ पर हीरालाल शास्त्री को शपथ राजप्रमुख मानसिंह द्वितीय ने दिलाई थी।
- 26 जनवरी,1950 को राजपुताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया। राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया।
7. सातवां चरण-1 नवम्बर 1956
- नाम-राजस्थान
- शामिल रियासतें-राजस्थान संघ + आबू, देलवाड़ा, सुमेल टप्पा व अजमेर – मेरवाड़ा ( 19+3+1 )
- राजधानी – जयपुर
- राजप्रमुख – पद को समाप्त क्र राज्यपाल के पद का सृजन हुआ
- राज्यपाल – गुरुमुख निहाल सिंह
- मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाड़िया
- सुमेल टप्पा मध्यप्रदेश के मंदसोर जिले कि भानुपुरा तहसिल से लेकर कोटा में मिलाया गया।
– झालावाड़ के सिरौंज उपखण्ड को मध्यप्रदेश मे मिलाया गया।
– राजस्थान को A श्रेणी का दर्जा दिया गया व राज्यपाल कि नियुक्ति जारी कि गई और प्रथम राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह बने। - एकीकरण पूर्ण होते वक्त राजस्थान में अजमेर सहित 26 जिले थे।
- फजल अली आयोग ( राज्य पुनर्गठन आयोग) की सिफारिशों के आधार पर आबू, देलवाड़ा, सुमेल टप्पा व अजमेर – मेरवाड़ा का राज्य में विलय किया गया तथा अजमेर को 26वां जिला घोषित किया गया
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत मे निम्न तीन श्रेणी के राज्य थे
अ श्रेणी – इस श्रेणी वे राज्य आते थे जो प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश नियन्त्रण में आते थे। जैसे- बिहार, बम्बई, मद्रास आदि। इनके प्रमुख राज्यपाल कहलाते थे।
ब श्रेणी – इस श्रेणी वे राज्य आते है जो, स्वतंत्रता के बाद छोटी-बड़ी रियासतों के एकीकरण द्वारा बनाये गये थे, जैसे-राजस्थान, मध्य भारत आदि। इनके मुखिया राजप्रमुख कहलाते थे। राजस्थान निर्माण के पश्चात् 30 मार्च, 1949, से 31 मार्च, 1956 तक राजस्थान के मुखिया को राज्याध्यक्ष कहा जाता था।
स श्रेणी – इस श्रेणी में वे समस्त छोटे राज्य आते थे, जिन्हें ब्रिटिश काल में चीफ कमिश्नर के प्रांत कहा जाता था। जैसे- अजमेर, दिल्ली।
राज्य पुनर्गठन आयोग भाषाई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 22 दिसम्बर, 1953 ई. को एक राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की । जस्टिस फजल अली को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और पं. ह्रदयनाथ कुंजरू तथा सरदार पान्निकर इसके सदस्य चुने गए ।
इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सितम्बर, 1955 ई. को भारत सरकार को सौंपी । इस रिपोर्ट के आधार पर संसद ने नवम्बर, 1956 ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम बनाया । इस अधिनियम के द्वारा अ, ब एवं स राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया तथा राजप्रमुख के पद को भी समाप्त कर राज्यपाल का नया पद सृजित किया गया ।
- अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् के राजपूताना प्रान्तीय सभा का अधिवेशन 9 सितम्बर, 1946 को हुआ । इसमे नेहरूजी ने कर्नल जेम्स टॉड के राजस्थान शब्द का दूसरी बार 117 वर्ष बाद प्रयोग किया । राजस्थान शब्द का प्रयोग एकीकरण के दूसरे चरण में हुआ, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान को राजस्थान शब्द की मान्यता 26 जनवरी, 1950 को प्रदान की गई
- वी पी. मेनन द्वारा लिखित पुस्तकद स्टोरी आँफ इंटीग्रेशन आँफ इंडियन स्टेटस है ।
- राजस्थान के एकीकरण में सर्वाधिक योगदान सरदार वल्लभभाई पटेल का है। जोधपुर के शासक हनुवंत सिंह मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर पाकिस्तान में मिलना चाहते थे, परन्तु सरदार वल्लभभाई पटेल के दबाव के कारण राजस्थान में मिलना स्वीकार किया।
- मत्स्य संघ के धौलपुर व भरतपुर की जनता भाषा के आधार पर उतरप्रदेश में मिलना चाहती थी, परन्तु भारत सरकार के सचिव वी. पी. मेनन ने जनता का विचार जानने हेतु डॉ. शंकर देव राय के निर्देशन में एक समिति का गठन किया और इस समिति ने धौलपुर व भरतपुर की जनता को राजस्थान में सम्मिलित किया।
- एकीकरण के समय एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी। (नवाबों की नगरी)
- धौलपुर व भरतपुर- जाटों की सबसे नवीन रियासत झालावाड़ थी, जिसका निर्माण 1838 में झाला झालिम सिंह के प्रयासों से अंग्रेजों द्वारा किया गया।
- शाहपुरा राजपूताना की ऐसी पहली रियासत थी, जिसके राजा सुदर्शन देव ने गोकुल लाल असावा के नेतृत्व में मंत्रिमण्डल का गठन कर पूर्णतः उतरदायी शासन की स्थापना की।
- एकीकृत राजस्थान के निर्माण हेतु अखिल भारतीय स्तर पर राममनोहर लौहिया की अध्यक्षता में राजस्थान आन्दोलन समिति का गठन किया गया।
- शाहपुरा व किशनगढ़ दो ऐसी रियासते थी, जिन्हें तोप की सलामी का अधिकार नहीं था।
- सबसे अन्त में सिरोही रियासत शामिल हुई।
- देशी रियासतो के मामले को हल करने के लिए 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल के नेतृत्व मे रियासती विभाग कि स्थापना कि गई। रियासती विभाग के सचीव P. मेनन थे।
- बीकानेर नरेश शार्दुलसिंह एक्सेज पर हस्ताक्षर करने वाले प्रथम शासक थे जिन्होने 7 अगस्त 1947 को हस्ताक्षर किये थे।
- धौलपुर नरेश उदयभान सिंह एक्सेज पर हस्ताक्षर करने वाले अंतिम शासके थे जिन्होने 14 अगस्त 1947 को हस्ताक्षर किये थे।
- एकीकरण कि प्रक्रिया मे सबसे अंतिम रूप से शामिल होने वाली रियासत देलवाड़ा, आबू (सिरोही) थी।
- राजस्थान मे सिरोही का विलय दो चरणो मे पुरा हुआ।
– शंकर देव समिति की सिफारिस पर सिरोही को राजस्थान मे मिलाया गया था।
– गोकुल भाई भट्ट के प्रयासो से देलवाड़ा, आबू राजस्थान मे शामिल किए गये। - मत्स्य संघ कि दो रियासते भरतपुर व धौलपुर भाषा के आधार पर उत्तरप्रदेश मे मिलना चाहती थी।
- 26 जनवरी 1950 को राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रखा गया ।
- 26 जनवरी 1950 को राजस्थान को ‘ख व B’ श्रेणी का दर्जा दिया गया ।
- राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया ।
- समाजवादी दल के नेता जयप्रकाश नारायण ने सर्वप्रथम 9 नवम्बर, 1948 को अविलम्ब वृहत राजस्थान की मांग की जो 30 मार्च 1949 को पूर्ण हुई थी, इसलिए30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है।
- 1 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष राजस्थानस्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में 26 जिले थे
प्रथम मुख्यमंत्री विशेष
हीरालाल शास्त्री – प्रथम मुख्यमंत्री (मनोनीत)(शास्त्री द्वारा लिखित लोकप्रिय गीतः प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः)
सी. एस. वेंकटाचार्य – एकमात्र मुख्यमंत्री, जो आई. सी. एस. अधिकारी था।
जयनारायण व्यास – निर्वाचित व मनोनीत
टीकाराम पालीवाल -प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री – (दौसा निवासी) (3 मार्च, 1952 से 1 नवम्बर,1953 तक )
- अलवर रियासत के शासक तेजसिंह के दीवान नारायण भास्कर खरे ने महात्मा गाँधी की हत्या के कुछ दिन पूर्व नाथूराम गोडसे व उसके सहयोगी परचुरे को अलवर में शरण दी थी । महात्मा गाँधी की हत्या के सन्देह में अलवर के शासक तेज सिंह व दीवान एन बी. खरे को 7 फरवरी, 1948 को दिल्ली में नजरबन्द करके रखा गया । अलवर रियासत ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था ।
- एकीकरण के समय अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डूंगरपुर, जोधपुर, टोंक रियासतें राजस्थान में नहीं मिलना चाहती थीं, टोंक व जोधपुर रियासतें एकीकरण के समय पाकिस्तान में मिलना चाहती थी ।
- जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह जिन्ना से मिलने के लिए दिल्ली गए। वीपी. मेनन हनुबंत सिंह को दिल्ली में बहाने से वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास ले गए । जहाँ मजबूरन हनुवंत सिंह को राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े
- इसी दौरान जैसलमेर रियासत भी विलय के लिए तैयार हो गई थी ।
- भरतपुर व धौलपुर रियासतें भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश से मिलना चाहती थी ।
- रियासती विभाग ने भरतपुर और धौलपुर रियासत की जनता की राय जानने के लिए डॉ. शंकरदेव राय समिति का गठन किया गया । इस समिति में दो सदस्य श्री प्रभुदयाल व श्री आर. के. सिंघावा को नियुक्त किया गया ।
- इस समिति के दो सदस्यों ने दो राज्यों का दौरा कर वहाँ की जनता की रास जानकर अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसमें लिखा था कि दोनों रियासतों की अधिकांश जनता बृहद् राजस्थान में मिलने के पक्ष में हैं ।
- एकीकरण के समय भरतपुर , धौलपुर रियासतों पर जनता की राय जानने के लिए एम.एस.जैन कमेटी का गठन किया गया था ।
- डॉ. शंकर देव राय समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ को ‘ वृहद् राजस्थान संघ ‘ में मिलाकर इसका नाम ‘संयुक्त वृहद्राजस्थान संघ’ किए जाने की विज्ञप्ति जारी की, जो 15 मई, 1949 को साकार हुई ।
- राजस्थान में भरतपुर व धौलपुर दो जाट रियासतें थी ।
- भारत में केवल टोंक, पालनपुर ( गुजरात ) दो मुस्लिम रियासतें थी । राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी।
- जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर तीनों राज्यों की जनता की भावना राजस्थान में मिलने की थी और उसी समय समाजवादी दल के नेता श्री राममनोहर लोहिया ने राजस्थान आंदोलन समिति की स्थापना कर जयपुर, जोधपुर , बीकानेर , जैसलमेर व मत्स्य संघ को संयुक्त राजस्थान में मिलाने की माँग की ।
- एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि( पोते बाकी )बीकानेर रियासत के द्वारा वृहत् राजस्थान को जमा करवाई गई । यह धरोहर राशि 4 करोड 87 लाख रूपये थी ।
- जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासत जो कि पाकिस्तान की सीमा पर स्थित थे वहाँ रेगिस्तान व अनुपजाऊ मिट्टी तथा यातायात एवं संचार साधनों की कमी के कारण आर्थिक रूप से पिछड़े हुए थे ।
- मानसिंह II ने वी पी. मेनन को राजपूताना की रियासतों को तीन संघों में विभाजित करने का सुझाव दिया
- पहला संघ – संयुक्त राजस्थान संघ यथावत बना रहे ।
- दूसरा संघ – जयपुर, अलवर व करौली के विलय से बनाया जाए ।
- तीसरा संघ – जोधपुर, जैसलमेर, व बीकानेर को मिलाकर ‘ पश्चिमी राजस्थान यूनियन’ के नाम से बनाया जाए ।