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बौद्ध धर्म || Bouddh Dharam

 

 बौद्ध धर्म :-

 
  • बौद्ध धर्म के संस्थापक/प्रवर्तक गौतमबुद्ध थे  
  • गौतम बुद्ध को एशिया का ज्योतिपुंजभी कहा जाता है
  • इन पर ‘ललित विस्तार’ पर आधारित एडविन एर्नाल्ड द्वारा लिखी गई पुस्तक“The Light of Asia”

गौतम बुद्ध  के बारे में – 

बचपन का नाम – सिद्धार्थ
जन्म स्थानकपिलवस्तु का लुम्बिनी गाँव(नेपाल)
जन्म   563 ईसा पूर्व
कुल   –  शाक्य – इसीलिए शाक्य मुनि कहलाये
पिता   शुद्धोधन – शाक्य गण केप्रधान
माता  – महामाया केलिय गणराज्य की राजकुमारी
            बुद्ध के जन्म के सात दिन पश्चात् इनकी माता की मृत्यु
 
सौतेली माँ   – प्रजापति गौतमी – इन्होंने बुद्ध का पालन पोषण किया
पत्नी  –  यशोधरा
पुत्र   – राहुल
 
  • कौडिन्य नामक ब्राह्मण ने भविष्यवाणी की थी कि सिद्धार्थ महान सम्राट या महान साधु बनेगा
–  कपिलवस्तु की सैर के दौरान चार घटनाओं ने बुद्ध के जीवन को  प्रभावित किया
  1.  वृद्ध व्यक्ति
  2. बीमार व्यक्ति
  3.  मृत व्यक्ति की अर्थी
  4. साधु
 
  • इन घटनाओं को देखकर बुद्ध का मन विचलित हो गया
  • 29 वर्ष केअवस्था में बुद्ध ने गृहत्याग किया बौद्ध धर्म में इस घटना कोमहाभिनिष्क्रमण कहा जाता है ।
  • महाभिनिष्क्रमण की घटना का उल्लेख– पालिग्रंथ महापरिनिर्वाणसुत्त
  • ज्ञान की खोज में सर्वप्रथम वैशाली गये 
  • वैशाली में   गुरु – आलारकलाम- बुध्द ने  तप क्रिया, उपनिषदों से ब्रह्म प्राप्ति की विद्या शिक्षा ग्रहण की।
  • राजगीर में भगवान बुद्ध के द्वितीय गुरु रामपुत/ रुद्रकराम- योग की शिक्षा
  • इसके बादबुद्ध उरुवेलाचलेगएथे यहाँ पांच साधक कोंडिन्य,वप्पा, भादिया, महानामा तथा अस्सागी मिले ।
  • मोहनातथा निरंजना नदी के संगम पर बुद्ध ने कोंडिन्य एवं अन्य साथियों के साथ कठिन तपस्या की।
  • सुजाता नामक लड़की से बुद्ध ने खीरखाकर तपस्या को समाप्त किया ।
  • बिना अन्न जल ग्रहण किये 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैसाख पूर्णिमा की रात बोधगया  में निरंजना नदी के तट पर वट के वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई।
  • उनको यह ज्ञान समाधि के 49वें दिन प्राप्त हुआ।
  • ज्ञान प्राप्ति की घटना – सम्बोधि, सिद्धार्थ-  शाक्य मुनिवगौतमबुद्ध तथा उरुवेला का क्षेत्र– बोधगया के रूप में प्रसिद्ध हुए।
  • सारनाथ में अपना प्रथम उपदेश पांच ब्राह्मण साथी–कोंडिन्य एवं उसके साथियों को दिया।
  • प्रथम उपदेश– धर्मचक्रप्रवर्तन          –  उल्लेख – संयुक्तनिकाय
  • बुद्ध ने सारनाथ में संघ की स्थापना की।
  • संघ की संगठन प्रणाली– गणतांत्रिक
  • संघ में प्रवेश की न्यूनतम आयु– 15 वर्ष संघ के अनुयायी दो वर्गों में बंटे थे1. भिक्षु- बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए सन्यास ग्रहण करने वाले2. उपासक – गृहस्थ जीवन में रहते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वाले
 
 
  • उपसम्पदाबौद्ध धर्म ग्रहण करना
  • चैत्यबौद्ध भिक्षुओ के उपासना स्थल
  • विहारबौद्ध भिक्षुओ के स्थल

 बुद्ध के प्रमुख  शिष्य / शिष्या 

  • तपस्सु तथा मल्लिक– प्रथम दो अनुयायी
  • बुद्ध का प्रधान शिष्य- उपालि
  • बुद्ध का प्रिय शिष्य – आनन्द – वैशाली में आनन्द के कहने पर बुद्ध ने महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया।
  • बुद्ध के प्रमुख अनुयायी शासक- बिम्बिसार- मगध का शासक, प्रसेनजित- कौशल का शासक, तथा उदयिन- वत्स का शासक थे
  • अज्ञातशत्रु – प्रथम बौद्ध संगीति के समय शासक
  • महाकश्यप – प्रथम बौद्ध संगीति का अध्यक्ष
  • सुभद- बुद्ध द्वारा दीक्षित अंतिम व्यक्ति
  • आम्रपाली – वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधु
  • महाप्रजापति गौतमी– सौतेली माता/ मौसी
  • यशोधरा – पत्नी।
  • बुद्ध ने 45 वर्षो तक धर्मोपदेश दिये इस दौरान बुद्ध ने पूर्व में चम्पा, पश्चिम में कुरुक्षेत्र, उत्तर में कपिलवस्तु तथा दक्षिण में कोशाम्बी तक यात्रा की
  • बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिए
  • बुद्ध नेसर्वाधिक वर्षा काल श्रावस्ती में व्यतीत किये ।
  • अवन्ति के शासक प्रघोत ने बुद्ध को आमंत्रित किया था लेकिन बुद्ध ने अवन्ति की यात्रा नहीं की।
  • बुद्ध ने कभी उज्जेन की यात्रा नही की– अपने शिष्य महकच्चायन को भेजा
  • बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में कुशीनगर/ कुशीनारा(देवरिया, UP) में  हो गई इसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है ।
  • बुद्ध की मृत्यु के पश्चात आनन्द को निर्वाण की प्राप्ति हुई।

      भगवान बुद्ध के प्रतीक:-

भगवान बुद्ध से जुडी घटनाएँ / प्रतीक
      प्रतीक
        घटना
1. हाथी /सफेद हाथी
भगवान बुद्ध के गर्भस्थ होने का प्रतीक
2.कमल
जन्म
 3. सांड
यौवन
 4. घोड़ा         
गृहत्याग का प्रतीक
 5.  बोधिवृक्ष/पीपल
ज्ञान का प्रतीक
 6.  पदचिन्ह  
निर्वाण का प्रतीक
 7.  स्तूप       
मृत्यु का प्रतीक

 

 – भगवान बुद्ध की शिक्षाएंसिद्धांत –

 1. चार आर्य सत्य :-        

 (i) दुःख – दु: है 
(ii) दुःख समुदाय – दु: का कारण है।
(iii) दुःख निरोध  – दु: के कारण का निवारण है।
(iv) दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा – दु: निवारण का मार्ग है।

2. अष्टांगिकमार्ग:-

  • भगवान ने चौथे आर्य  के तहत अष्टांगिक मार्ग प्रतिपादन किया।
  • बुद्ध के अनुसार यदि इसका पालन किया जाए तो व्यक्ति का अज्ञान समाप्त हो जाता है तथा सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है
 
1.  सम्यक् दृष्टि                            2.  सम्यक्संकल्प
 
3.  सम्यक् वाक्/वाणी                  4.  सम्यक् कर्मन्ति
 
5.  सम्यक् आजीव                      6.  सम्यक् व्यायाम
 
7.  सम्यक् स्मृति                         8.  सम्यक् समाधि

3.दस शील/ आचरण

  • बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति को सरल बनाने के लिए दस शीलों पर जोर दिया:-
1. सत्यसत्य  बोलना                     
2. अस्तेयचोरीनहींकरना
3. अहिंसा हिंसानहींकरना             
4. नशा नहींकरना
5. अपरिग्रह – किसी प्रकार की  कोई सम्पति नही रखना 
6. असमय भोजन नही करना
7. धन संचय नही करना                    
8. स्त्रियों से दूर रहना
9. सुखप्रद बिस्तर पर नही सोना       
10. नृत्यगान आदि से दूर रहना

निर्वाण :-

 
निर्वाण का शाब्दिक अर्थ  दीपक का बुझ जानाहोता है अर्थात् जीवनमरण के चक्र से मुक्त हो जाना
– तृष्णा के शांत हो जाने को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है

– निर्वाण बौद्ध धर्म काअन्तिम लक्ष्य है।

 

     बौद्ध संगीतियाँ /सभाएं
संगीति
समय
स्थान
अध्यक्ष
शासक
प्रमुख कार्य
प्रथम बौद्ध संगीति
483BC
राजगृह
महाकश्यप
अजातशत्रु
सुतपिटक विनयपिटक की रचना 
द्वितीय बौद्ध संगीति
383 BC
वैशाली
सबाकामी
कालाशोक
 संघ दो भागों में विभाजितस्थविर महासंघिक
तृतीय बौद्ध संगीति
250 BC 
पाटलिपुत्र
मोग्गलीपुत्र तिस्स
अशोक
अभिदम्भपिटक की रचना
चतुर्थ बौद्ध संगीति
प्रथम सदी .
कुंडलवन
(कश्मीर)
वसुमित्र/अश्वघोष
कनिष्क
बौद्धधर्म दो भागों में विभाजित हो गयाहीनयान महायान

 

त्रिपिटक
  • पिटक का शाब्दिक अर्थपिटाराहोता हैं।
  • तीनों पिटकों की भाषा पालि है

 

1 . विनयपिटक

  • रचना  उपालि
  • इसमे संघ के साधुओं के नियम आचारविचार मिलते हैं।

2.    सुतपिटक

  • रचना   आनन्द
  • इसमे भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ एवं जीवन की घटनाएँ मिलती हैं।सुतपिटक के खुद्दक निकाय में जातक कथाएँ मिलती हैं।
  • जातक कथाएँ भगवान बुद्ध के पूर्वज जन्मों की कहानियाँ
3.    अभिदम्भपिटक
  • रचनाबौद्ध दर्शन का उल्लेख
  • संयुक्त रुप से तीनों पिटकों को  त्रिपटककहा जाताहैं।
हीनयान महायान
क्रम सं.
हीनयान
महायान
1.
रुढ़िवादी
सुधारवादी
2.
कठोर साधना पद्धति
सरल साधना पद्धति
3.
बुद्ध को महापुरुष मानते हैं।
बुद्ध को देवता मानते हैं।
4.
देवीदेवताओं को नहीं मानते हैं।
देवीदेवताओं को मानते हैं।
5.
मूर्ति पूजा के आलोचक हैं।
मूर्ति पूजा के समर्थक हैं।
6.
साहित्य भाषापालि
साहित्य भाषासंस्कृत
7.
व्यक्तिवादी
मानवतावादी

बौद्ध धर्म के प्रमुख विद्वान :-

⇒ मैत्रेय ने विज्ञानवाद या योगाचार का विचार दिया इन्हें भविष्य का बुद्धभी कहा जाता है।
नागार्जुन ने परमतत्व की व्याख्या की उसे शून्य बताया अथार्त इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती
  • इन्होनेसापेक्षिकताका सिध्दान्त दिया। 
  • इनको भारत का आइंस्टीन कहा जाता हैं।
⇒ वसुवंधअभिधम्म कोष की रचना
 
⇒ अश्वघोषबुद्धचरितम के रचयिता
⇒ शंकराचार्य ने ब्रम्हा को निर्गुण,निराकार बताया इनको प्रच्छन्न बौद्ध(Hidden Buddh) कहा जाताहैं।

प्रमुख तथ्य  :-

  • धामेख स्तूप, साँचीइस स्तूप कोसीट ऑफ़ होली बुद्धकहा जाता है।
  • गान्धार,मथुरा अमरावती मूर्तिकला शैलियों में भगवान बुद्ध से सम्बन्धित कई मूर्तियाँ बनी।
  • बुद्ध की खड़ी प्रतिमा कुषाण काल में बनाई गई।
  • सर्वाधिक मूर्तियों का निर्माण गांधार शैली के अंतर्गत किया गया।
  • बुद्ध की प्रथम मूर्ति का निर्माण संभवतया मथुरा शैली में हुआ था।
  • अजन्ताऐलोरा,बाघ आदि की गुफाओं से बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्र मिलते हैं।
  • तक्षशिला एवं नालन्दा विश्वविद्यालय विकसित हुए जो शिक्षा के बड़े केंद्र थे।
  • बौद्ध धर्म की शिक्षा प्राप्त करने हेतु फाह्यान एवं हेन्सांग जैसे विदेशी यात्री भारत आए।

बौद्ध धर्म के पतन के कारण:

 बौद्ध धर्म (संघ) अनेक शाखाओं मेंविभाजित होना

 बौद्ध संघो में बढती कुरीतियाँ और भोग विलास

 मूर्ति पूजा का आरम्भ

 हिन्दू कुप्रथाओ को अपनाना

 ब्राह्मणो का अपने धर्म में सुधारवादी आन्दोलन

 पाली भाषा त्याग कर संस्कृत को अपनाना

 कुछ शासकों का बौद्ध धर्म का विरोघ 

 राजकीय संरक्षण का अभाव

तुर्क सेनापति कुतुबुद्दीन खिलजी ने नालन्दा एवं विक्रमशीला विश्वविद्यालयों को जलाकर नष्ट कर दिया था।

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