राजस्थान मे 1857 की क्रांति (1857 Revolution in Rajasthan)
राजस्थान मे 1857 की क्रांति (1857 Revolution in Rajasthan) – भारतीय गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग ने क्रांति से पूर्व यह आशंका व्यक्त की कि हमें यह कदाचित नहीं भूलना चाहिए कि भारत के इस शांत आकाश में कभी भी एक छोटी सी बदली उत्पन्न हो सकती है जिसका आकार पहले तो मनुष्य की हथेली से बड़ा नहीं होगा किन्तु जो उत्तरोत्तर विराट रूप धारण करके अंत में वृष्टि विस्फोट के द्वारा हमारी बर्बादी का कारण बन सकती है ।
- 1857 की क्रांति की रूप रेखा कानपुर के शासक नानासाहेब के मित्र अजीमुल्ला खां तथा सतारा के शासक रंगोजी बापू के द्वारा लंदन में बनाई गई थी, जिसे नेपाल से क्रियान्वित किया गया था।
- इस योजना के अनुसार 31 मई 1857 को सामूहिक विद्रोह का फैसला लिया गया था जिसका नाम दिल्ली चलो रखा गया इस विद्रोह का नेतृत्व की कमान अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को दी गई
- जिसके लिए चौकीदारों और सैनिकों को प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी
- इसमें कमल का फूल व रोटी को प्रचार चिन्ह बनाया था परंतु इसी बीच 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे द्वारा चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में मेजर ह्यूसन तथा लेफ्टीनेंट बाग की हत्या कर दी गई थी यह इस क्रांति का पहला विस्फोट था।
- इस घटना के कारण 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। मंगल पांडे 1857 की क्रांति का पहला शहीद था।
- क्रांति की विधिवत शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से हुई थी। जिसे इस क्रांति की समय से पहले शुरूआत होने पर इसकी असफलता का मुख्य कारण था।
1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत ( Different views in reference to the revolt of 1857 )
- सर जॉन लॉरेंस, के. मैलेसन, ट्रैविलियन व सीले-1857 की क्रांति एक सिपाही विद्रोह था
- इस विचार से भारतीय समकालीन लेखक मुंशी जीवनलाल दुर्गादास बंदोपाध्याय सैयद अहमद खां भी सहमत है
- वी डी सावरकर- यह स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी (पुस्तक द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस)
- डॉ रामविलास शर्मा-यह स्वतंत्रता संग्राम था
- सर जेम्स आउट्रम और डब्लयू टेलर-यह विद्रोह हिंदू-मुस्लिम का परिणाम था
- रामविलास शर्मा– यह जनक्रांति थी
- डिजरायली बेंजामिन डिजरैली– यह राष्ट्रीय विद्रोह था
- एस.एन. सेन-यह विद्रोह राष्ट्रीयता के अभाव में स्वतंत्रता संग्राम था
- जवाहरलाल नेहरु-यह विद्रोह मुख्यतः सामंतशाही विद्रोह था
क्रान्ति के प्रमुख कारण ( Reason of 1857 Revolution )
1857 की क्रांति के कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित है
- सहायक संधि की नीति (Subsidiary Alliance): देशी राज्यों को अंग्रेजों की राजनीतिक परिधि में लाने के लिए गवर्नर जनरल लॉर्ड वैलेजली (1798-1805) द्वारा.प्रारम्भ की गई नीति जिसके तहत देशी राज्यों की आंतरिक सुरक्षा व विदेश नीति का उत्तरदायित्व अंग्रेजों पर था एवं जिसका खर्च संबंधित राज्य को उठाना पड़ता था।
- राजस्थान में सर्वप्रथम भरतपुर राज्य ने 29 सितम्बर 1803 ई.को लॉर्ड वैलेजली से सहायक संधि की परन्तु विस्तृत रक्षात्मक एवं आक्रमण संधि सर्वप्रथम अलवर रियासत ने 14 नवम्बर, 1803 को की थी। भारत में प्रथम सहायक संधि 1798 ई. में हैदराबाद के निजाम के साथ की गई थी।
- अधीनस्थ पार्थक्य की नीति (Subordinate Isolation)
मराठों व पिंडारियों की लूट-खसोट से तंग आकर राजस्थान के राजाओं ने गवर्नर जनरल लॉर्ड-हार्डिंग्स की ‘अधीनस्थ पार्थक्य की नीति के तहत अंग्रेजों से संधियाँ की। सर्वप्रथम करौली राज्य ने 15 नवम्बर, 1817 को अंग्रेजों के साथ संक्षिप्त संधि की। परन्तु विस्तृत एवं व्यापक प्रभाव वाली यह
संधि सर्वप्रथम 26 दिसम्बर, 1817 को कोटा के प्रशासक झाला जालिमसिंह ने कोटा राज्य की ओर से की। - वर्ष 1818 के अंत तक सभी रियासतों (सिरोही को छोड़कर) ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि की। ये संधियाँ कराने में चार्ल्स इस समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग व राजस्थान मटेकॉफ व कर्नल टॉड की विशेष भूमिका रही।
- विलय की नीति (Doctrine of lapse): सन् 1848 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी द्वारा प्रारम्भ की गई नीति जिसके अनुसार किसी देशी राजा के नि:संतान मर जाने पर उसकी रियासत ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दी जाती थी।
इसके तहत् सर्वप्रथम 1848 में सतारा को और फिर 1856 में अवध को अंगेजी राज्य में मिलाया गया। - 1857 की क्रांति का तत्कालीन कारणचर्बी लगे कारतुस का प्रयोग माने जाते हैं।1857 की क्रान्ति में रायफल ब्राउन बेस के स्थान पर चर्बी वाले कारतुस रॉयल एनफिल्ड नामक कारतुस का प्रयोग करते है।
- इस क्रांति के समय राजपूताना उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत के प्रशासनिक नियंत्रण में था जिसका मुख्यालय आगरा में था इस प्रांत का लेफ्टिनेंट गवर्नर कोलविन था
- 1857 के विद्रोह का प्रारंभ 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी (पश्चिम बंगाल) की 34वीं नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही मंगल पांडे के विद्रोह के साथ हुआ किंतु संगठित क्रांति 10 मई 1857 को मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) छावनी से प्रारंभ हुई थी
- अजमेर- मेरवाड़ा का प्रशासन कर्नल डिक्सन के हाथों में था क्रांति के समय राजपुताना का ए.जी.जी जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस था जिस का मुख्यालय माउंट आबू में स्थित था अजमेर राजपूताना की प्रशासनिक राजधानी था और अजमेर में ही अंग्रेजों का खजाना और शस्त्रागार स्थित था
- राजपुताना का पहला ए. जी. जी. – जनरल लॉकेट
- अजमेर की रक्षा की जिम्मेदारी 15नेटिव इन्फैंट्री बटालियन के स्थान पर ब्यावर से बुलाई गई, लेफ्टिनेंट कारनेल के नेतृत्व वाली रेजिमेंट को दे दी गई मेरठ विद्रोह की खबर 19 मई 1857 को माउंट आबू पहुंची
सैनिक छावनियां ( Military Encampment )
- नसीराबाद (अजमेर)
- नीमच (मध्य प्रदेश)
- एरिनपुरा (पाली)
- देवली (टोंक)
- ब्यावर (अजमेर)
- खेरवाड़ा (उदयपुर)
NOTE – खैरवाड़ा व ब्यावर सैनिक छावनीयों ने इस सैनिक विद्रोह में भाग नहीं लिया।
राजस्थान में क्रांति के समय पॉलिटिकल एजेंट ( Rajasthan Political agent in revolution )
- कोटा रियासत -मेजर बर्टन
- जोधपुर रियासत -मेक मैसन
- भरतपुर रियासत – मोरिशन
- जयपुर रियासत – ईडन
- उदयपुर रियासत -शावर्स
- सिरोही रियासत -जे.डी.हॉल
राजस्थान में क्रांति के समय राजपूत शासक ( Rajasthan Rajput ruler in revolution )–
- कोटा रियासत-राम सिंह
- जोधपुर रियासत-तख्तसिंह
- भरतपुर रियासत-जसवंत सिंह
- उदयपुर रियासत-स्वरूप सिंह
- जयपुर रियासत -रामसिंह द्वितीय
- सिरोही रियासत -शिव सिंह
- धौलपुर रियासत -भगवंत सिंह
- बीकानेर रियासत -सरदार सिंह
- करौली रियासत – मदनपाल
- टोंक रियासत -नवाब वजीरूद्दौला
- बूंदी रियासत -राम सिंह
- अलवर रियासत -विनय सिंह
- जैसलमेर रियासत – रणजीत सिंह
- झालावाड रियासत -पृथ्वी सिंह
- प्रतापगढ़ रियासत -दलपत सिंह
- बांसवाड़ा रियासत – लक्ष्मण सिंह
- डूंगरपुर रियासत –उदयसिंह
राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ ( Revolution in Rajasthan )
नसीराबाद में विद्रोह ( Rebellion in Nasirabad )
- राजस्थान में 1857 की क्रांति का प्रारंभ 28 मई 1857 को अजमेर की नसीराबाद छावनी से हुआ थानसीराबाद में 15वी नेटिव इन्फेंट्री बटालियन के सैनिकों ने अपने ऊपर किए गए अविश्वास के कारण विद्रोह कर दिया था
- इन सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारियोंन्यूबरी ,के. वेनी, और के. स्पोर्टिसवुड की हत्या कर दी
- 18 जून को दिल्ली विद्रोहमें शामिल हो गए यहां की क्रांति का नायक बख्तावर सिंह था
नीमच में विद्रोह ( Rebellion in Neemach )
- 3 जून 1857 को नीमच में सैनिकों नेहिरा सिंह और मोहम्मद अली बेग के नेतृत्व में विद्रोह किया
- यहांएबॉट नामक ब्रिटिश अधिकारी नियुक्त था क्रांतिकारियों से भयभीत अंग्रेजों ने मेवाड़ में शरण ली
- जहां परडूंगला नामक गांव के किसान रुगाराम ने अंग्रेजो को शरण दी कोटा बूंदी और मेवाड़ की सैनिक सहायता से कैप्टन शावर्स ने 6 जून को नीमच में विद्रोह का दमन कर दिया
धौलपुर में विद्रोह ( Revolution in Dholpur )
- यहां क्रांतिकारियों नेरामचंद्र, देवा गुर्जर और हीरा लाल के नेतृत्व में विद्रोह किया था
- धौलपुर में ही देवा गुर्जर के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने इरादत नगर की तहसील और सरकारी खजाने को लूट लिया था
- धौलपुर नरेश भगवन्त सिंहकी प्रार्थना पर पटियाला नरेश की सिक्ख सेना ने आकर धोलपुर को क्रांतिकारियों के प्रभाव से मुक्त करवाया था
टोंक में विद्रोह (Revolution in tonk )
- राजस्थान की एकमात्रमुस्लिम रियासतों का नवाब वजीरूद्दौला अंग्रेजों का सहयोगी था ,
- किंतु नवाब केमामा मीर आलम खां के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह कर टोंक पर कब्जा कर लिया
- मोहम्मद मुजीब के नाटक आजमाइश केअनुसार टोंक के विद्रोह में महिलाओं ने भी भाग लिया था
आउवा में विद्रोह (Revolution in AAHUA)
- 1857 की क्रांति में राजपूताने में अंग्रेजों को सर्वाधिक प्रतिरोध का सामना आउवा (पाली)के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत से करना पड़ा ।
आउवा(पाली) – जोधपुर रियासत का एक ठिकाना था। इसमें ठिकानेदार ठाकुर कुशाल सिंह ने भी विद्रोह किया। गुलर, आसोप, आलनियावास(आस-पास की जागीर) इनके जागीरदार ने भी इस विद्रोह में शामिल होते है।
बिथौड़ा का युद्ध – 8 सितम्बर 1857 (पाली) क्रान्तिकारीयों की सेना का सेनापति ठाकुर कुशाल सिंह और अंग्रेजों की तरफ से कैप्टन हीथकोट के मध्य हुआ और इसमें क्रांतिकारीयों की विजय होती है।
चेलावास का युद्ध – 18 सितम्बर 1857(पाली) इसमे कुशाल सिंह व ए. जी. जी. जार्ज पैट्रिक लारेन्स के मध्य युद्ध होता है और कुशाल सिंह की विजय होती है।
उपनाम – गौरों व कालों का युद्ध
- ” काला-गोरा युद्ध ” में जोधपुर के पालिटिकल एजेट मैकमेसन मारा गया । विद्रोहियों ने उसके कटे सिर को आउवा दुर्ग के फाटक पर लटका दिया था। 20 जनवरी 1858 को बिग्रेडयर होम्स के नेतृत्व में अंग्रेज सेना आउवा पर आक्रमण कर देती है।
पृथ्वी सिंह(छोटा भाई) को किले की जिम्मेदारी सौंप कर कुशाल सिंह मेवाड़ चला गया। कुशाल सिंह कोठरिया (सलुम्बर) मेवाड़ में शरण लेता है। इस समय मेवाड़ का ठाकुर जोधासिंह था। इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय होती है।
गयी।बिग्रेडियर होम्स सुगाली माता की मुर्ति, 6 पीतल+7 लोहे की तोपे उठाकर अजमेर ले जाता है वर्तमान में यह अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है। अगस्त 1860 में कुशाल सिंह आत्मसमर्पण कर दिया।
सुगाली माता (जिनके 12 सिर व 54 हाथ थे), कुशाल सिंह की कुलदेवी थी। जो राजस्थान में क्रांति का प्रतीक मानी जाती है
कुशाल सिंह के विद्रोह की जांच के लिए मेजर टेलर आयोग का गठन किया। साक्ष्यों के अभाव कुशाल सिह को निर्दोष करार दिया गया 25 जुलाई 1864 को उदयपुर में कुशाल सिंह की मृत्यु हो गई
- कर्नल होम्स ने आउवा दुर्ग को जीत कर वहां से सुगाली माता की मूर्ति, 6 पीतल+7 लोहे की तोपे अजमेर लाया था ।
एरिनपुरा में विद्रोह
- 21 अगस्त, 1857 को हुआ।
- इसी समय क्रान्तिकारियों ने एक नारा दिया‘‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’’।
- इस समय जोधपुर के शासक तख्तसिंह थे।
- क्रन्तिारियों ने आऊवा के ठाकुर कुषालसिंह से मिलकर तख्तसिंह की सेनाका विरोध किया।
- तख्तसिंह की सेना का नेतृत्व अनाड़सिंह व कैप्टन हिथकोट ने किया था।
- जबकि क्रान्तिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुषालसिंह चंपावत ने किया था।
- दोनो सेनाओं के मध्य 13 सितम्बर, 1857 को युद्ध हुआ।
- यह युद्ध बिथोड़ा(पाली) में हुआ। जिसमें कुषालसिंह विजयी रहें एवं हीथकोट की हार हुई
- इस हार बदला लेने के लिए पेट्रिक लोरेन्स एरिनपुरा आए एवंक्रान्तिकारियांे ने इन्हे भी परास्त किया। लोरेन्स के साथ जोधपुर के मैकमोसन थे। क्रान्तिकारीयों ने मैकमोसन की हत्या कर इसका सिर आउवा के किले पर लटकाया।
- इस हार का बदला लेने के लिए लार्ड कैनिन ने रार्बट हाम्स आउवा सेना भेजी।इस क्रान्ति का दमन किया गया।
- यह क्रान्ति आउवा क्रान्ति या जनक्रान्ति के नाम से जानी जाती हैं।
कोटा में विद्रोह (Revolution in KOTA)
- सम्पूर्ण राजपूताने में क्रांति का सुनियोजित आरम्भ जो वास्तव में “जनविद्रोह” था कोटा में 15 अक्टूबर 1857 से आरम्भ हुआ ।
- कोटा में क्रान्तिकारियों की कमान जयदयाल(वकील) मेहराबखां (रिसालदार) के हाथ में थी।
- उनके नेतृत्व में ” भबानी” और ” नारायण ” नामक सैन्य टुकडियों ने विद्रोह किया ।
- विद्रोह के समय कोटा नरेश महाराव रामसिंह- 2 थे
- इन दोनो के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने मेजर बर्टन,उसके दो पुत्र व डॉ. मिस्टर काटम की हत्या करदी।
- कोटा विद्रोह को एच जी. रॉबर्टस द्वारा 30 मार्च, 1858 को दबाया गया ।
- कोटा P.A. मेजर बर्टन की हत्या करके विद्रोहियों ने उसका कटा सिर भाले पर रखकर पूरे शहर में घुमाया था ।
- मिस्टर रॉर्बटस ने इस क्रान्ति का दमन 1858 में किया। छः माह तककोटा क्रान्तिकारियों के अधीन रहा। यहां के नरेश महाराव रामसिंह- 2 को करौली नरेश मदनपाल सिंह ने जनवरी 1858 मे मुक्त करवाया था
मेवाड़ के अप्रत्यक्ष विद्रोही
- राजपूताने का प्रथम नरेश जिसने अंग्रेजों को सर्वप्रथम शरण दी वह उदयपुर महाराणा स्वरूपसिंह था
- महाराणा स्वरुपसिंह ने उदयपुर A. कैप्टन शावर को पिछोला झोल में बने जगमंदिर महलों में शरण दी थी ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- अग्रेजों की अधीनता स्वीकार करने वाली प्रथम रियासत – करौली(1817)
- सम्पूर्ण भारत में 562 देशी रियासते थी तथा राजस्थान में 19 देशी रियासत थी।
- कर्नल जेम्स टॉडपहला व्यक्ति था जिसने राजस्थान का सर्वप्रथम सुव्यवस्थित इतिहास लिखा इसीलिए कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान के इतिहास का पिता कहा जाता है ये घोड़े वाले बाबा उपनाम से इतिहास में प्रसिद्ध हुए
- कर्नल जेम्स टॉड के गुरु ज्ञानचंद थे कर्नल जेम्स टॉड ने पृथ्वीराज रासो के लगभग 30 हजार दोहो, का अंग्रेजी में अनुवाद किया था
- इतिहासकारगौरीशंकर हीराचंद ओझा ने कर्नल जेम्स टॉड के इतिहास लेखन की गलतियों को दूर किया इसीलिए गौरीशंकर हीराचंद ओझा को राजस्थान के इतिहास का वैज्ञानिक पिता कहा जाता है
- एस एन सेन एकमात्र सरकारी इतिहासकार थे
- राजपूताने का एकमात्र नरेश जिसने विद्रोह के दौरान कम्पनी ( अंग्रेज ) का साथ नहीं दिया बूंदी नरेश महारावल राम सिंह हाड़ा था
- बीकानेर महाराजा सरदार सिंह एकमात्र राजपूत नरेश थे जो विद्रोह को दबाने राज्य की सीमा से बाहर हरियाणा तक गये ।
- राजस्थान में सबसे अधिक सुनियोजित सुव्यवस्थित वह सफल विद्रोह कोटा में हुआ था
- कोटा में सर्वप्रथम विद्रोहीयो ने कोतवाली में तिरंगा फहराया था
- क्रांति का सबसे पहला शहीद अमरचंद बांठिया था अमरचंद बांठिया को 1857 की क्रांति का भामाशाह भी बोला जाता है
- क्रांति का सबसे युवा शहीद हेमू कलानी थाजिसे टोंक में फांसी दी गई थी।
- वी डी सावरकर एक मात्र क्रांतिकारी थे जिन्हें दो जन्म की काले पानी की सजा दी गई
- राजस्थान में 1857 की क्रांति के समयछ:रियासतों कोटा, झालावाड,टोंक,बांसवाड़ा, धौलपुर ,भरतपुर पर विद्रोहियों कर अधिकार हो गया था
- बूंदी केमहाराव राम सिंह के अतिरिक्त राजपूताना के अन्य सभी शासकों ने विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान किया था
- जयपुर महाराजा रामसिंह – 2 को अंग्रेजों ने क्रांति में कंपनी का सहयोग करने के फलस्वरूप ” सितार-ए- हिंद ” की उपाधि दी ।
- कवि सूर्य मल मिश्रणने 1857 की क्रांति को एक स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी है
1857 की क्रान्ति की असफलता के कारण ( 1857 Revolution failure Reason )
- राजस्थान के राजाओें ने क्रान्तिकारियों का साथ न देकर ब्रिटिष सरकार का साथ दिया
- क्रान्ति नेतृत्वहीन थी
- क्रान्तिकारियों में एकता व सम्पर्क का अभाव था
राजपूताना में 1857 की क्रांति के परिणाम ( 1857 revolution results in Rajputana )
यद्यपि 1857 की क्रांति असफल रही किंतु उसके परिणाम व्यापक सिद्ध हुए।
- क्रांति के पश्चात् यहाँ के नरेशों को ब्रिटिश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया क्योंकि राजपूताना के शासक उनके लिए उपयोगी साबित हुए थे। अब ब्रिटिश नीति में परिवर्तन किया गया।
- शासकों को संतुष्ट करने हेतु‘गोद निषेध’ का सिद्धान्त समाप्त कर दिया गया।
- राजकुमारों के लिए अंग्रेजी शिक्षा का प्रबन्ध किया जाने लगा।
- अब राज्य कम्पनी शासन के स्थान पर ब्रिटिश नियंत्रण में सीधे आ गये। साम्राज्ञीविक्टोरिया की ओर से की गई घोषणा (1858) द्वारा देशी राज्यों को यह आश्वासन दिया गया कि देशी राज्यों का अस्तित्व बना रहेगा।
- क्रांति के पश्चात् नरेशों एवं उच्चाधिकारियों की जीवन शैली में पाश्चात्य प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता हैं। अब राजस्थान के राजे-महाराजे अंग्रेजी साम्राज्य की व्यवस्था में सेवारत होकर आदर प्राप्त करने व उनकी प्रशंसा करने के आदी हो गए थे।
- जहाँ तक सामन्तों का प्रश्न है, उसने खुले रूप में ब्रिटिश सत्ता का विरोध किया था। अतः क्रांति के पश्चात् अंग्रेजों की नीति सामन्त वर्गको अस्तित्वहीन बनाने की रही। जागीर क्षेत्र की जनता की दृष्टि में सामन्तों की प्रतिष्ठा कम करने का प्रयास किया गया। सामन्तों को बाध्य किया गया कि से सैनिकों को नगद वेतन देवें। सामन्तों के न्यायिक अधिकारों को सीमित करने का प्रयास किया। उनके विशेषाधिकारों पर कुठाराघात कया गया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सामन्तों का सामान्य जनता पर जो प्रभाव था, ब्रिटिश नीतियों के कारण कम करने का प्रयास किया गया।
- क्रान्ति के बाद अंग्रेजी सरकार ने रेल्वे व सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू किया, जिससे आवागमन कीव्यवस्था तेज व सुचारू हो सके। मध्यम वर्ग के लिए शिक्षा का प्रसार कर एक शिक्षित वर्ग खड़ा किया गया,जो उनके लिए उपयोगी हो सके।
- अर्थतन्त्र की मजबूती के लिए वैश्य समुदाय को संरक्षण देने की नीति अपनाई। बाद में वैश्य समुदाय राजस्थान में और अधिक प्रभावी बन गया।
- 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों की इस धारणा को निराधार सिद्ध कर दिया कि मुगलों एवं मराठों की लूट से त्रस्त राजस्थान की जनता ब्रिटिश शासन की समर्थक है। परन्तु यह भी सच है कि भारत विदेशी जुए को उखाड़ फेंकने के प्रथम बड़े प्रयास में असफल रहा। राजस्थान में फैली क्रांति की ज्वाला ने अर्द्ध शताब्दी के पश्चात् भी स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान लोगों को संघर्ष करने की प्रेरणा दी, यही क्रांति का महत्त्व समझना चाहिए।
1857 की क्रांति से संबंधित रचनाए
- 1857 रचना – एस एन सेन
- द सेवोय म्युटीना एंड द रिवल्ड ऑफ 1857 – रमेश चंद्र मजूमदार
- द फर्स्ट वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंट – वी डी सावरकर
- द ग्रेट रिवल्ड – अशोक मेहता
राजस्थान में 1857 की क्रांति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न ((IMP. Question 1857 Revolution in Rajasthan)
Q. 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में कितनी सैनिक छावनियां थी
उत्तर – 1857 के क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियां थी नीमच (मध्य प्रदेश), नसीराबाद (अजमेर), ब्यावर (अजमेर), देवली (टोंक), एरिनपुरा (पाली), खेरवाड़ा (उदयपुर)
Q. 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर जनरल कौन थे
उत्तर – 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग थे
Q. 1857 के विद्रोह के समय राजस्थान के ए जी जी कौन थे
उत्तर – 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय राजस्थान के ए जी जी जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस थे
Q. नसीराबाद में विद्रोह कब हुआ ?
उत्तर – 28 मई
Q. एरिनपुरा सैनिक छावनी ने कब विद्रोह किया ?
उत्तर – 21अगस्त1857
Q. एरिनपुरा विद्रोह का नेतृत्व किया ?
उत्तर – शिवनाथ सिंह
Q. 10 मई 1857 को जिस दिन भारत मे मेरठ से क्रांति का प्रारम्भ हुवा उस दिन कौनसा वार था ?
उत्तर – इतवार
Q. राजस्थान में क्रांति का निम्न में से सबसे प्रमुख स्थान था ?
उत्तर – कोटा
Q. कोटा राज्य प्रजामंडल की स्थापना कब हुई ?
उत्तर – 1938
Q. राजस्थान में सुव्यवस्थित क्रांति किस जगह हुई ?
उत्तर – कोटा
Q. किस राज्य के शासक की हालत अपने ही किले में बन्दी के समान दशा हो गयी थी ?
उत्तर – कोटा
Q. कोटा को कितने माह बाद क्रांतिकारियों सेमुक्त करवाया गया ?
उत्तर – 6 माह
Q. निम्न में से छावनी नही थी ?
उत्तर – कोटा
Q. कोटा में क्रांति की शुरुआत कब हुई ?
उत्तर – 18 अक्टूबर 1857
Q. राजस्थान में किस जगह जनविद्रोह हुआ ?
उत्तर – कोटा
Q. मेजर बर्टन का सिर कहा घुमाया ?
उत्तर – कोटा
Q. नीमच में विद्रोह किसने किया ?
उत्तर – हीरा सिंह व मोहम्मद अली बेग
Q. कोटा में क्रांति का नेतृत्व किया था ?
उत्तर – जयदयाल व मेहराब खान
Q. नीमच से भागे हुए अंग्रेज परिवार को कहाँ बन्दी बनाया ?
उत्तर – डूंगला
Q. मेक मोशन का सिर किस युद्ध मे काटा ?
उत्तर – चेलावास
Q. क्रांति के समय अंग्रेजों का मुख्यालय था ?
उत्तर – माउंट आबू
Q. राजस्थान के किस शासक ने अपने सेना सहित स्वयं जाकर सहायता की ?
उत्तर – बीकानेर
Q. चेलावास का युद्ध कब हुआ ?
उत्तर – 18 सितम्बर
Q. किस युद्ध को काले गोरे का युद्ध कहा जाता है ?
उत्तर – चेलावास
Q. ए. जी. जी. जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस की सेना को आउवा के निकट 18 सितंबर 1857 को क्रांतिकरियों ने किस स्थान पर परास्त किया ?
उत्तर – चेलावास
Q. 1857 की क्रांति में किन ब्रिटिश छावनियों ने भाग नहीं लिया ?
उत्तर – ब्यावर और खेरवाड़ा
Q. कितनी सैनिक छावनी में विद्रोह नही हुआ ?
उत्तर – 2
Q. “दी सिपाय मयूटीना एन्ड द ऑफ 1857” के लेखक कौन थे?
उत्तर – आर. सी. मजूमदार
Q. 1857 की क्रांति के समय जोधपुर पॉलिटिकल एजेंट कौन था ?
उत्तर – मेकमोहन
Q. 1857 से पूर्व ब्रिटिश ओर भारतीय सेना का देश मे क्या अनुपात था?
उत्तर – 1:5
Q. 1857 की क्रांति में किस नायक का मूल नाम धुन्धु पंत था?
उत्तर – नाना साहब
Q.1857 क्रांति के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री कौन था?
उत्तर – लार्ड पामस्टर्न
Q. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को 1857 की क्रांति के समय किसने कहा कि वो “विरतम ओर श्रेष्ठतम ” है ?
उत्तर – सर हयूरोज
Q. कौन नाना साहब पेशवा का मंत्री तथा प्रमुख सलाहकार था?
उत्तर – अजीमुल्ला खान
Q.1857 की क्रांति के संदर्भ में किस नायक का नाम “अख्तरपिया” था?
उत्तर – नवाब वाजिद अली शाह
Q. बूंदी किसान आंदोलन का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर – नानक भील
Q. आउवा वर्तमान में कहां पर स्थित है ?
उत्तर – पाली
Q. 1857 की क्रांति का ऐसा कौन सा नेता है, जिसने क्रांति नहीं मानी ?
उत्तर – आर. के.मलंकर
Q. बूंदी किसान आंदोलन की शुरुआत कब हुई थी ?
उत्तर – 1926-27
Q. भोमट के भील आंदोलन को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – एकी आंदोलन
Q. बिजोलिया ठिकाने का संस्थापक था ?
उत्तर – अशोक परमार
Q. बिजोलिया किसान आंदोलन की अवधि हैं ?
उत्तर – 1897-1941
Q. बिजोलिया किसान आंदोलन का कारण कितने प्रकार के कर और बेगार प्रथा थी ?
उत्तर – 84
Q. बिथोड़ा(पाली)का युद्ध कब हुआ
उत्तर – 8 सितम्बर 1857 (पाली), ठाकुर कुशाल सिंह और कैप्टन हीथकोट
Q. राजस्थान में1857 के विद्रोह की शुरूआत कब & कहा से हुई ?
उत्तर – 28 मई & नसीराबाद
Q. लाला जयदयाल और मेहराब खाॅ ने कहाँ के विद्रोह का नेतृत्व किया ?
उत्तर – कोटा
Q. केसरी सिंह को किस मामले मेबीस वर्ष की सजा दी गई ?
उत्तर – महन्त साधु प्यारेलाल की हत्या मामले में (बिहार की हजारीबाग जेल)
Q. राजस्थान सेवा संघ ने नवीन राजस्थानका प्रारम्भ कबकिया ?
उत्तर – 1922
Q. 1857 क्रांति का अन्त सर्वप्रथम कहाँ हुआ ?
उत्तर – 21 सितम्बर1857 (दिल्ली)
Q. कौनसा शासक राजस्थान का अकेलाऐसा शासक था जो सेना को लेकरव्रिदोहियो को दबाने के लिए राज्य से बाहर भी गया ?
उत्तर – बीकानेर के महाराज सरदार सिंह
Q. आउवा ठाकुर कुशालसिंह एवंएरिनपुरा के व्रिदोही सैनिको की भेंटकिस स्थान पर हुई ?
उत्तर – खैरवा
Q. 1857 की क्रांति के समय राजपूताना किस प्रशासनिक नियंत्रण में था ?
उत्तर- 1857 की क्रांति के समय राजपूताना उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत के प्रशासनिक नियंत्रण में था जिसका मुख्यालय आगरा में था इस प्रांत का लेफ्टिनेंट गवर्नर कोलविन था
Q. चेलावास का युद्ध या काले-गौरे का युद्ध कब हुआ ?
उत्तर – 18 सितंबर 1857