Jodhpur District Gk in Hindi || जोधपुर जिला दर्शन हिंदी में
सामान्य परिचय – Jodhpur District GK in Hindi
स्थापना – जोधपुर की स्थापना से पूर्व मारवाड़ की राजधानी मण्डोर थी। राव जोधा ने चिड़ियानाथ जी की टूक पहाड़ी पर ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, शनिवार 12 मई, 1459 ई. को मेहरानगढ़ की नींव डालकर जोधपुर की स्थापना की।
10 मई 1933 से इसे जोधपुर के नाम से जाना जाता है इससे पूर्व इसे राव जोधाजी का फलसा,जोधाना, मारवाड़ आदि नामों से जाना जाता था।
उपनाम | मरुस्थल का प्रवेश द्वार, राजस्थान की सूर्य नगरी (सन सिटी),ब्लू सिटी,मरुकांतर प्रदेश,मरुप्रदेश, मारवाड़,पोलो का घर |
जिला शुभंकर | कुरंजा |
RJ |
RJ – 19 – जोधपुर RJ – 23 – फलौदी |
कुल क्षेत्रफल |
कुल क्षेत्रफल – 22,850 वर्ग किलोमीटर नगरीय क्षेत्रफल – 280.97 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्रफल – 22,569.03 वर्ग किलोमीटर |
अक्षांशीय विस्तार | 26°0′ से 27°37′ उत्तरी अक्षांश |
देशांतरीय विस्तार | 72°55′ से 73°52′ पूर्वी देशान्तर |
कुल वनक्षेत्र | 338.03 वर्ग किलोमीटर |
पङोसी जिले | नागौर,जैसलमेर, पाली, बीकानेर, बाड़मेर |
लोकसभा क्षेत्र | जोधपुर |
विधानसभा क्षेत्र | 10 -फलौदी, लोहावट, शेरगढ़, ओसियाँ, भोपालगढ़, सरदारपुरा, जोधपुर, सूरसागर, लूणी, व बिलाड़ा |
उपखण्ड | 5 |
तहसीलें | 7 – जोधपुर, फलौदी, शेरगढ़, भोपालगढ़, ओसियां, लूणी, बिलाड़ा |
उपतहसीलें | 4 |
ग्राम पंचायतें | 339 |
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आंकड़े –
कुल जनसंख्या | 36,87,165 |
पुरुष | 19,23,928 |
स्त्री | 17,63,237 |
दशकीय वृद्धि दर | 27.7% |
जनसंख्या घनत्व | 161 |
लिंगानुपात | 916 |
साक्षरता दर | 65.9% |
पुरुष साक्षरता | 79% |
महिला साक्षरता | 51.8% |
कुल पशुधन | 35,90,264 |
कुल पशु घनत्व | 157 |
राजस्थान जिला दर्शन हिंदी में | जोधपुर जिला दर्शन
जलाशय / जलस्त्रोत –
जोधपुर में बहने वाली नदियाँ–लूनी, जोजरी, मीठड़ी,सुकड़ी
अन्य जलाशय–फलौदी-खारे पानी की झील।
- कायलाना झील–जोधपुर की सबसे बड़ी झील
- यह प्राकृतिक झील है।
- राज्य की एकमात्र झील जिसमें इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का पानी ‘राजीव गाँधी लिफ्ट केनाल’ द्वारा डाला जाता है।
- इसे प्रतापसागर झील भी कहते है (सरप्रताप ने इसका आधुनिकीकरण करवाया)
- जोधपुर शहर को जल की आपूर्ति इसी झील से होती है।
- बालसमन्द झील–1159 ई. में बालक राव द्वारा निर्मित। यह झील जोधपुर-मण्डोर मार्ग पर है। बालसमन्द झील में अष्ट खम्भा स्थित है।
- जसवन्त सागर बाँध–जोधपुर जिले का सबसे बड़ा बाँध। 2007 में टूट गया था।
- अरणा-जरणा जल प्रपात-जोधपुर।
- अन्य जलाशय – उम्मेद सागर बाँध, पिचियाक बाँध, प्रतापसागर बाँध
- तुंवर जी का झालरा (बावड़ी) – निर्माण – अभयसिंह की रानी तुंवर जी द्वारा निर्मित
- तापी बावड़ी – जोधपुर में
- महिला बाग़ झालरा(बावड़ी) – निर्माण – महा.विजयसिंह की पासवान गुलाबराय द्वारा निर्मित
- गुलाबराय को मारवाड़ की नूरजहाँ के नाम से भी जाना जाता है,इन्होने गुलाबसागर का भी निर्माण करवाया था
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वन्य जीव अभयारण्य/उद्यान –
1. माचिया सफारी पार्क–
- स्थापना–1985
- यह जोधपुर से 5 किमी दूर कायलाना झील के पास स्थित है
- इस पार्क में माचिया दुर्ग स्थित है
- यह देश का प्रथम राष्ट्रीय वानस्पतिक उद्यान है।
2. उम्मेद उद्यान –
- जोधपुर पब्लिक पार्क
- जिले का दूसरा सबसे बड़ा उद्यान
3. अमृतादेवी मृगवन – खेजड़ली
- स्थापना-1994
- यहाँ की मरु लोमड़ी प्रसिद्ध है।
- खेजड़ली ग्राम (जोधपुर) – विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला मेला – भाद्रपद शुक्ल दशमी
- खेजड़ी दिवस 12 सितम्बर
- 1730 ई. में महाराजा अभयसिंह के समय में खेजड़ली ग्राम (जोधपुर) में अमृता देवी विश्नोई ने खेजड़ी वृक्ष बचाने के लिए 363 महिला-पुरुषों के साथ अपने प्राण त्यागे। यहाँ पेड़ काटने का आदेश गिरधर सिंह ने दिया था
- राजस्थान में अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार की शुरुआत 1994 में हुई एवं प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर्त्ता-गंगा विश्नाई।
नोट:-राज्य में जीवों की रक्षार्थ पहला बलिदान सन् 1604 में जोधपुर रियासत के रामसड़ी ग्राम में गौरा व कर्मा ने दिया।
4.धावा डोली अभयारण -जोधपुर
- सर्वाधिक कृष्ण मृग पाये जाते है।
5. जोधपुर जन्तुआलय–
- स्थापना-1936,
- यहजन्तुआलय राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण के कृत्रिम प्रजनन के लिए प्रसिद्ध है।
6. गुढ़ा विश्नोइयाँ कन्जर्वेशन रिजर्व – जोधपुर
- स्थापना – 15.12.2011
जोधपुर जिला दर्शन in हिंदी
महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल –
1 . मेहरानगढ़ दुर्ग –
- उपनाम – मयूरध्वजगढ़, गढ़ चिन्तामणी, कागमुखी।
- निर्माण राव जोधा ने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, शनिवार वि.स. 1515(12 मई 1459 ई.) में चिड़ियाटूक पहाड़ी पर करवाया।
- इस दुर्ग की नींव करणी माँ द्वारा रखी गई
- इस दुर्ग की नींव में बलि राजिया भांभी की दी गई थी।
- जोधपुर का मेहरानगढ़ किला देश के प्रसिद्ध दुर्गों में से एक है। धरातल से करीब चार सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मेहरानगढ़ किले की दीवार 10 से 120 फीट ऊंची तथा 70 फीट चौड़ी है। इस दुर्ग की लम्बाई 500 गज और चौड़ाई 200 गज है।
- रूपयार्ड क्लिपिंग के अनुसार “दुर्ग का निर्माण शायद परियों व फरिश्तों ने करवाया।”
- जैकलिन कैनेडी के अनुसार यह दुर्ग विश्व का आठवाँ आश्चर्य है।
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मेहरानगढ़ दुर्ग के महल–
- फूलमहल-अभय सिंह, मोतीमहल-सूरसिंह।
- सिणगारी/शृंगार चंवरी–जोधपुर के शासकों का राजतिलक।
2. जसवन्त थड़ा –
- उपनाम – राजस्थान/मारवाड़ का ताजमहल
- निर्माण – 1906 ई. में सरदार सिंह ने अपने पिता जसवन्त सिंह द्वितीय की स्मृति में मेहरानगढ़ की तलहटी में करवाया। यहाँ मारवाड़ के शासकों का शाही श्मशान घाट है। इस स्मृति भवन में जोधपुर नरेशों की वंशावली के मनोहारी चित्र लगे हैं।
मण्डोर का किला–जोधपुर, मण्डोर माण्डव्य ऋषि की तपोभूमि थी। मण्डोर का प्राचीन नाम ‘माण्डवपुर’ था। मंडोर, मारवाड़ नरेशों की पूर्व राजधानी थी।
उम्मेद महल–अकाल के दौरान जनता को रोजगार देने के उद्देश्य से इस महल का निर्माण उम्मेद सिंह ने 1928 से 1940 के मध्य छीतर पत्थरों से करवाया, इसलिए इसे ”छीतर पैलेस” भी कहते हैं। एशिया के भव्य प्रासादों में जोधपुर का उम्मेद भवन का स्थान शीर्ष पर आता है। वर्तमान में उम्मेद भवन में मनोरम संग्रहालय, थियेटर, भू-तल तरणताल, नृत्य कक्ष, केन्द्रीय हॉल दर्शनीय है।
एक थम्बा महल-
- उपनाम – इसे प्रहरी मीनार भी कहा जाता है
- निर्माण – महा. अजीत सिंह ने भूरे रंग के धाटू के पत्थरों से करवाया।
नोट :- एक थम्बिया महल डूंगरपुर में स्थित है
राई का बाग पैलेस-
- निर्माण – जसवन्त सिंह।
- सन् 1883 ई. में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने उपदेश शासक को इसी महल में सुनाये थे।
उम्मेद भवन पैलेस – जोधुपर
- छीत्तर पैलेस- छीत्तर पत्थरों से निर्मित होने के कारण
- निर्माण – महा.उम्मेदसिंह
- वास्तुकार – स्टीवन जैकब, विद्याधर राव
- विश्व का सबसे बड़ा रिहायशी महल
- इसमें घड़ियों का संग्रहालय संचालित है
अजीत भवन पैलेस – देश की प्रथम हैरिटेज होटल
बिजोलाई के महल – कायलाना झील के किनारे
- महा. तख्तसिंह द्वार निर्मित शिकारगृह
- जनाना बाग-बालसमन्द झील के पास (सूरसिंह द्वारा अपनी रानी के लिए)
अजीतसिंह का देवल(छतरी) – मंडोर
मण्डोर की छतरियाँ–यहाँ पंचकुण्ड नामक स्थान पर राठौड़ राजाओं की छतरियाँ है।
- प्रमुख छतरियाँ-कागा की छतरी, गौरा धाय की छतरी।
बीस खम्भों की छतरी/सिंघबियों की छतरियाँ–यहाँ की प्रमुख छतरियाँ-अखैराज, जैसलमेर रानी, अहाड़ा हिंगोला की छतरी।
कीरत सिंह की छतरी–मेहरानगढ़ (जोधपुर)।
पुष्य हवेली–विश्व की एकमात्र हवेली जिसका निर्माण पुष्य नक्षत्र में हुआ।
जोधपुर की अन्य हवेलियाँ – बड़े मिंया की हवेली, पाल हवेली, राखी हवेली, पोकरण हवेली, पच्चिसां हवेली, आसोप हवेली, सांगीदास धानवी की हवेली (फलौदी), लालचन्द ढड़्डा की हवेली (फलौदी), मोती लाल अमरचन्द कोचर हवेली, फूलचन्द गोलछा हवेली (फलौदी)।
जोधपुर के प्रमुख लोकदेवता /लोकदेवियां –
1 . आई माता
- मन्दिर – बिलाड़ा (जोधपुर)-
- बचपन का नाम-जीजीबाई।
- सीरवी जाति की कुल देवी
- आई पंथ की स्थापना – नीम के वृक्ष के नीचे।
- रामदेवजी की शिष्या
- नव दुर्गा का अवतार
- आई माता के मन्दिर को दरगाह तथा थान को वडेर कहते हैं।
- माता के मन्दिर में कोई मूर्ति नहीं है
- दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।
- मन्दिर में गुर्जर जाति का प्रवेश निषेध
- पूजा प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया
– ऊँटा माता – इनका मंदिर भी जोधपुर में है।
2. चामुण्डा माता – मेहरानगढ़-जोधपुर
- प्रतिहार वंश की कुलदेवी
- जोधपुर के राठौड़ों की कुलदेवी
- मेला – दोनों नवरात्रों में
- इस मंदिर का पुनर्निर्माण तख्तसिंह ने करवाया तथा जीर्णोद्धार दिवस प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है।
- इस माता के मन्दिर में 2008 के नवरात्रों में भगदड़ मचने से 227 लोगों की मृत्यु हो गई। इसकी जाँच के लिए जसराज चपड़ा आयोग गठन किया गया।
3. नागणेची माता – मेहरानगढ़ ,जोधपुर
- जोधपुर के राठौड़ों व लोकदेवता कल्लाजी की कुलदेवी।
- 18 भुजाओं वाली देवी
- इस माता का दूसरा रूप श्येन पक्षी/बाज/चील है।
- नोट:- नागणेची माता माता का मुल मंदिर नागाणा,बाड़मेर में बना हुआ है जिसका निर्माण राव धुहड़ ने करवाया था
4. लटियाल माता – फलौदी, जोधपुर।
- उपनाम – खेजड़बेरी राय भवानी
- पुष्करणा / कल्लाकुल ब्राह्मणों की कुल देवी।
- माता के खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है, इसलिए इसे खेजड़ी बेरिराय भवानी कहते हैं।
5. सच्चियाय माता –
- मंदिर – ओसियां ,जोधपुर
- निर्माण – प्रतिहार शैली में निर्मित मंदिर का निर्माण 11 वीं सदी में परमार राजकुमार उपलदेव ने करवाया
- सच्चियाय माता श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के ओसवाल समाज की कुल देवी है।
- साम्प्रदायिक सद्भाव की देवी
6. पाबू जी – कोलू गाँव फलौदी
- ऊँटों के देवता
- पिता – धांधल राठौड़, माता कमला दे
- पत्नी – केलम दे – अमरकोट की राजकुमारी
- लक्ष्मण का अवतार
- जन्म- कोलूमंड गाँव , फलोदी (जोधपुर)
- प्रतीक चिन्ह – भाला लिए अश्वरोही
- हाड़-फाड़ का देवता।
- उपासना स्थल- कोलू,(फलोदी)
- पाबूजी बांयी ओर झुकी हुई पाग के लिए प्रसिद्ध है।
- पाबूजी की घोड़ी-केसर कालमी।
- मेला – चैत्र अमावस्या (कोलू मंड, जोधपुर)
- पाबूजी को रेबारी जाति के आराध्य देवता प्लेग रक्षक देवता के नाम से जाना जाता है
- वीरगति – गोवंश की रक्षा हेतु जिंद राव खिची के साथ युद्ध करते हुए प्राण त्यागे, 276 ई.
- संबंधित रचनाएं – पाबूजी रो छंद -बिठू मेहा
- पाबू प्रकाश – आशिया मोड़ जी
- ऊंट के ठीक होने पर आधे कटे नारियल से बने वाद्य यंत्र के साथ पाबूजी की फड़ भोपा व भोपण के द्वारा बोली जाती है
- ऊंटों में एक विशेष प्रकार का रोग “सर्रा” पाया जाता है
- मारवाड़ में ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को ही जाता है
- विशेष – ऊंटों के देवता – पाबूजी
- ऊंटों की देवी अंता देवी
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7. तल्लीनाथ जी –
- जन्म – शेरगढ़,जोधपुर
- जालौर क्षेत्र के लोकदेवता
- पूजा स्थल – पांचोटा गाँव
- वास्तविक नाम – गांगदेव राठौड़
- पिता – वीरमदेव
- गुरु – जालंधर नाथ
- भाई – रावचुड़ा
8.मेहाजी मांगलिया-
- मुख्य मंदिर – जोधपुर के ओसिया के निकट बापड़ी गांव में
- पूजा – भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी)
- कामङिया पंथ से दीक्षित
- घोड़ा किरङ काबरा
- इनके मंदिर के पुजारी भोपे की वंश वृद्धि नहीं होती है
9. रूपनाथजी –
- जन्म – कोलू गाँव ,जोधपुर
- पाबूजी के भतीजे
- थान – कोलुमंड,जोधपुर
हरिहर मन्दिर-औंसिया(जोधपुर)
अचलनाथ महादेव–जोधपुर
- इस मंदिर के पास ‘गंगा बावड़ी’ है।
रावण का मन्दिर – मण्डोर–
- यह उत्तरी भारत का पहला रावण मन्दिर है
- रावण की पत्नी मन्दोदरी ओझा जाति की मण्डोर की निवासी थी।
- रावण की मूर्ति को अनुग्रह मूर्ति कहा जाता है।
33 करोड़ देवी देवताओं का मन्दिर–मण्डोर
- इसे “HALL OF HEROES” या ”वीरों की साल” कहते है।
- नोट – जोधपुर के राठौड़ों की प्राचीन राजधानी मंडौर है,मंडौर में ही धन्ना महल स्थित है
सम्बोधि धाम – कायलाना झील के निकट – जैन धर्म का मंदिर
अधरशिला रामसापीर मंदिर – जालोरिया का बास,जोधपुर
सूर्य मन्दिर–औंसिया
- उपनाम – ”राजस्थान का ब्लैक पैगोड़ा” या राजस्थान का कोणार्क
- औंसिया को 24 मन्दिरों की स्वर्ण नगरी भी कहते है
- यह राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध सूर्य मन्दिर है
- इसका निर्माण 8वीं सदी में प्रतिहार शासक वत्सराज ने करवाया।
- औंसिया में स्थित महावीर स्वामी का मंदिर उत्तर भारत का सबसे प्राचीन महावीर स्वामी का मंदिर है
औंसिया के जैन मन्दिर–प्राचीनतम औंसिया का महावीर जैन मन्दिर पश्चिमी भारत का प्रथम जैन मंदिर है।
नोट :- औंसिया- उपनाम – राजस्थान का भुवनेश्वर
- प्राचीन नाम – उपकेश पठन
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जोधपुर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व –
- मुहणौत नैणसी– जसवंतसिंह के दरबारी साहित्यकार
- “राजपूताने का अबुल फजल”, जयपुर निवासी मुंशी देवी प्रसाद ने कहा।
- प्रमुख रचनाएँ – “मुहणौत नैणसी री ख्यात” व “मारवाड़ रा परगना री विगत” (राजस्थान का गजेटियर)
- मुहणौत नैणसी री ख्यात राजस्थानी भाषा में लिखी गई है तथा इसमें राजपूतों की ३६ शाखाओं, गुज्जर प्रतिहार शासकों की २६ शाखाओं तथा गुहिल राजपूतों की २४ शाखाओं का वर्णन किया गया है
- राव चन्द्रसेन–
- उपनाम – महाराणा प्रताप का अग्रगामी, भूला-भटका राजा, मारवाड़ का प्रताप, मारवाड़ का विस्मृत नायक आदि
- मेजर शैतान सिंह– द्वितीय परमवीर चक्र विजेता (1962)।
- गवरी देवी– प्रसिद्ध मांड गायिका।
- सुमनेश जोशी– ‘रियासती’ दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक। इसी अखबार ने 26 मई, 1948 को जोधपुर के राजा हनुवंत सिंह के पाकिस्तान में मिलने के इरादों का भण्डाफोड़ किया।
- लालसिंह भाटी– गैंडों की खाल से बनी ढ़ाल पर नक्काशी करने हेतु राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित।
- डॉ. सीताराम लालस– नरेना, रचना राजस्थानी भाषा का शब्दकोश, इसमें 10 खण्ड है, एन्साइक्लोपेडिया ऑफ ब्रिटेनिका ने इन्हें ‘राजस्थानी जुबान की मशाल’ कहकर सम्बोधित किया।
- विजयदान देथा– बोरुन्दा, जोधपुर ,ग्रन्थ-बातां री फुलवारी 2007 में पद्म श्री से सम्मानित।
- ज्योति स्वरूप शर्मा– इन्होंने रेणुका आर्ट्स हस्तशिल्प शोध संस्थान की स्थापना की।
- नारायण सिंह माणकलाव– राज्यसभा में मनोनीत प्रथम राजस्थानी व्यक्ति ।
- कैलाश सांखला– पर्यावरणविद् सांखला ‘टाइगर मैन ऑफ़ इंडिया’ के उपनाम से प्रसिद्ध।
- महिपाल– प्रथम राजस्थानी फिल्म नजराना (1942) के अभिनेता।
- तैय्यब खान – बंधेज कार्य हेतु पद्मश्री से सम्मानित ।
-
जोधपुर जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य / प्रश्न –
- जोधपुर जिले की आकृति मयुराकार है
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा संभाग-जोधपुर
- विश्व का सबसे बड़ा रिहायशी पैलेस –छीतर पैलेस (उम्मेद भवन पैलेस ) – जोधपुर में
- राजस्थान उच्च न्यायालय –29 अगस्त, 1949 उद्घाटन-सवाई, मानसिंह प्रथम मुख्य न्यायाधीश – कमलकांत वर्मा।
- देश का प्रथम कोयला आधारित बिजलीघर – बाप (जोधपुर)
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी-जोधपुर, 1957
- राजस्थान का प्रथम फ्लाईंग क्लब-जोधपुर।
- राज्य का प्रथम हज हाउस – जोधपुर
- अश्व प्रजनन केन्द्र, आई माता मन्दिर -बिलाड़ा।
- जोधपुर में राज्य की पहली फुटबॉल अकादमी की स्थापना।
- घुड़ला त्यौहार- (चैत्र कृष्ण 8) के लिए प्रसिद्ध
- देश का सबसे बड़ा पाण्डुलिपि भण्डार – राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान संस्थान,जोधपुर – स्थापना,1950 ई.
- जोधपुर के पाल गाँव में राजस्थान की फिल्म सिटी तथा निजी क्षेत्र का राज्य का प्रथम इनलैंड कंटेनर डिपो अवस्थित है।
- इंडियन रेयोन इण्डस्ट्रीज लिमिटेड सफेद सीमेंट कारखाना – खारिया खंगार में
- देश का दूसरा एम्स मेडिकल कॉलेज-जोधपुर में
- 13-08-2007 को मुख्यमंत्री बालिका सम्बल योजना की शुरुआत जोधपुर में हुई।
- खुफिया एंजेसी प्रशिक्षण केन्द्र (इंटेलीजेन्स ब्यूरो) – जोधपुर में
- खजूर पौध प्रयोगशाला-चौपासनी, देश की पहली व एशिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रयोगशाला, राज्य सरकार व गुजरात की अतुल राजस्थान डेटपाम लिमिटेड की साझेदारी से बनाई जा रही है।
- नारग गाँव-एशिया के सबसे बड़े जर्म प्लाज्म स्टेशन का शिलान्यास 14-08-07 को जोधपुर के इस गाँव में हुआ।
- देश का तीसरा कारकस प्लांट(मृत पशुओं का निस्तारण) – जोधपुर (प्रथम-दिल्ली, दूसरा-जयपुर)
- राज्य सरकार द्वारा जोधपुर में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की मंजूरी दे दी।
- जोधपुरी कोट -पेन्ट को राष्ट्रीय पोशाक का दर्जा दिया गया है।
- उम्मेद कला पीठ चित्रशैली – जोधपुर (संस्थापक-लाल सिंह भाटी)।
- जोधपुर – प्रथम सहकारी डाकघर की स्थापना-1839
- लोलावास- जोधपुर की इस पिछड़ी ढ़ाणी में विलायती बबूल को जलाकर बिजली बनाने का राजस्थान में अपनी तरह का पहला टेस्ट पायलट प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया गया है।
- मीरां बाई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-जोधपुर।
- भारत का प्रथम हैरिटेज होटल–अजीत भवन (जोधपुर)।
- राष्ट्रीय कला मण्डल-जोधपुर-1954, संस्थापक- गोवर्धन लाल काबरा।
- रूपायन संस्थान–बोरुंदा (जोधपुर 1960) में कोमल कोठारी द्वारा स्थापित।
- कुरजां पक्षी–खींचन, गाँव (जोधपुर), शीतकाल में बहुतायत मिलते है।
- भारत समन्वित बाजरा अनुसंधान संस्थान परियोजना का मुख्यालय-जोधपुर।
- जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय-(जोधपुर) इसके अधीन अपने नगर की सीमाओं के बाहर का कोई महाविद्यालय नहीं है।
- स्टेट रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर-जोधपुर।
- राज्य का प्रथम हज हाउस का लोकार्पण-जोधपुर, 1 अप्रैल, 2012 को।
- राज्य का दूसरा निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क-जोधपुर।
- राज्य का प्रथम स्पाइस पार्क-जोधपुर।
- केन्द्रीय शुष्क भूमि क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) –जोधपुर। (स्थापना 1959)
- शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (AFRI) –जोधपुर।
- खेड़ापा (जोधपुर) में रामस्नेही सम्प्रदाय की पीठ है, इसका संस्थापक रामदास। नाथ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ-महामंदिर (जोधपुर) है। महामंदिर का निर्माण मानसिंह राठौड़ ने करवाया था।
- गोमठ (फलौदी, जोधपुर) का ऊँट बोझा ढ़ोने के लिए प्रसिद्ध है।
- देश का प्रथम सौर उर्जा से संचालित फ्रिज – बालेसर
- राजस्थान का दूसरा ‘एग्रो फूड पार्क’- बोरनाड़ा।
- सरदार पटेल पुलिस एवं नागरिक सुरक्षा विश्वविद्यालय – जोधपुर
- राजस्थान विधि विश्वविद्यालय, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय-जोधपुर।
- बादामी संगमरमर–जोधपुर।
- मारवाड़ महोत्सव–जोधपुर (अक्टूबर माह में)
- राज्य का प्रथम सौर ऊर्जा आधारित फ्रीज-बालेसर।
- नवीनतम सौर वैधशाला-मथानिया (जोधपुर)।
- लोकदेवता पाबूजी का तीर्थ स्थल – कोलू
- राजस्थान का दूसरा एड्स उपचार केन्द्र-जोधपुर (पहला-जयपुर)।
- रूपायन संस्थान – बोरुन्दा,जोधपुर
- जोधपुर में प्रथम सरपंच सम्मेलन 08-01-2007 को सम्पन्न।
- राज्य का दूसरा व सबसे बड़ा सफेद सीमेंट का कारखाना-बिरला व्हाइट सीमेंट वर्क्स-1998 में खारिया-खंगार, जोधपुर में है।
- केन्द्रीय ऊन बोर्ड-जोधपुर।
- देश का तीसरा व राज्य का पहला राजीव गाँधी टूरिज्म कन्वेंशन सेंटर-जोधपुर में प्रस्तावित।
- रन क्षेत्र (लवणीय दल क्षेत्र)-बाप (जोधपुर)।
- राजस्थान राज्य का सर्वाधिक शुष्क स्थान, भारतीय वायुसेना का छठा एयरबेस स्थापित -फलौदी।
- प्रवासी पक्षी कुरंजा के लिए प्रसिद्ध – खींचन गाँव
- दशहरा शोक पर्व – मण्डोर (जोधपुर) में मनाया जाता है।
- दशहरा के अवसर पर मेहरानगढ़ (जोधपुर) से राम की सवारी निकाली जाती है।
- जोधपुर दुर्ग में कीलम जड़ित मरकत मणि के दो गुलाबी प्यालेनुमा जलाशय विख्यात है-(i) गुलाबसागर (ii) गुलाब सागर का बच्चा।
- फलौदी को पश्चिमी काशी कहा जाता है।
- जालौरिया का वास (अधरशिला, जोधपुर)-अधरशिला मंदिर का स्तम्भ जमीन से 0.5 ईंच ऊपर उठा हुआ है, ऐसा प्रतीत होता है कि यह मन्दिर झूल रहा है। यह मन्दिर रामदेवजी का है।
- रामड़ावास (जोधपुर) में जाम्भोजी का तीर्थ स्थल है।
- मोठड़ा (जब लहरिये की लाइने एक-दूसरे को काटती है, तो वह मोठड़ा कहलाता है) जोधपुर का प्रसिद्ध है।
- रातानाड़ा हवाई अड्डा–जोधपुर (सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण)।
- लकड़ी के झूले, चुनरी, लाख का काम, जस्ते की मूर्तियाँ व वस्तुएँ, बादला, चमड़े की मोजडिय़ाँ, मिनिएचर पेंटिग्स जोधपुर के प्रसिद्ध है।
- मलमल-मथानियाँ व तनसुख की प्रसिद्ध है।
- मथानिया- मिर्ची उद्योग हेतु प्रसिद्ध
- राज्य का प्रथम सेज हेण्डीक्रॉफ्ट – बोरनाड़ा, जोधपुर।
- ईसबगोल अनुसंधान केन्द्र-जोधपुर।
- राज्य की प्रथम हाइटेक जीरा मण्डी-भदवासिया।
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